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कोई ज्ञानी तो कोई मंदबुद्धि भी हो सकता है - आचार्य श्री महाश्रमण

08.12.2017 बोकारो (झारखंड), JTN, स्टील सिटी के नाम से विश्व में प्रख्यात झारखंड राज्य के बोकारो शहर वर्तमान में आध्यात्मिकता के लिए भी प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है। क्योंकि वर्तमान समय में मजबूती के मामले में विख्यात स्टील के शहर बोकारो में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ जैन मिलन केन्द्र जनवृत सेक्टर-2डी में त्रिदिवसीय प्रवास कर रहे हैं और अपनी ज्ञानगंगा से यहां के लोगों को मानसिक रूप से भी मजबूत बनकर जनकल्याण करने की पावन प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं। आचार्यश्री की अमृतवाणी का श्रवण करने यहां के श्रद्धालुओं को उत्साह देखते बन रहा है। यहां केवल जैन धर्म के ही नहीं, बल्कि सभी धर्म के लोग आचार्यश्री की मंगलवाणी का श्रवण करने पहुंच रहे हैं। 
बोकारो में प्रवास के तीसरे दिन जैन मिलन केन्द्र के परिसर में बने प्रज्ञा समवसरण में उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम तेरापंथ धर्मसंघ की असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने मंगल संबोध में अप्रमत्त बनने की दिशा में आगे गति करने का ज्ञान प्रदान किया। साध्वीवर्याजी ने श्रद्धालुओं को धर्ममय होने को उत्प्रेरित किया। 
इसके उपरान्त आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे आरएसएस के बिहार-झारखण्ड के क्षेत्रीय प्रचारक श्री रामदत्तजी ने अपने आचार्यश्री को नमन कर अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि आचार्यश्री का दर्शन पाना वास्तव में मेरे लिए सौभाग्य की बात है। आचार्यश्री की यात्रा के सूत्र मानव जीवन के मूल्यों को ऊंचा उठाने की प्रेरणा प्रदान करने वाली है, जिसके माध्यम से जन-जन का सर्वांगीण विकास हो सकता है। आचार्यश्री की यह यात्रा लोगों के उत्थान में और चरित्र निर्माण में मिल का पत्थर साबित होगी। आचार्यश्री की वाणी को आदमी अपने जीवन में उतार ले तो उसका जीवन सार्थक हो जाएगा। 

महातपस्वी आचार्यंश्री ने लोगों को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि आदमी सुनकर कल्याण को जान लेता है और सुनकर पाप को भी जान लेता है, किन्तु या करना है और क्या नहीं करना का विवेक होना श्रेयस्कर है। आदमी के जीवन में शरीर, वाणी, मन और बुद्धि का भी अपना महत्त्व होता है। प्रत्येक व्यक्ति में बुद्धि समान नहीं होती। कोई ज्ञानी तो कोई मंदबुद्धि भी हो सकता है। ज्ञानावरणीय कर्म का बेहतर छयोपशम आदमी की बुद्धि को कुसाग्र और ज्ञानावरणीय पर पड़े सघन आवरण के कारण मंद बुद्धि होती है। आदमी को अपने जीवन में बुद्धि का विकास करने का प्रयास करना चाहिए, यह अतिमहत्त्वपूर्ण है। जिसके पास बुद्धि उसका यश फैलता है, जिसके पास बुद्धि होती है, वह बलवान भी होता है। शुद्ध बुद्धि कामधेनु के समान होती है। बुद्धि अपने आप में एक ऊर्जा, चेतना और शक्ति है। 
बुद्धि का दुरुपयोग और सदुपयोग दोनों हो सकता है। बुद्धि के द्वारा किसी समस्या को सुलझाया तो किसी समस्या को उलझाया भी जा सकता है। आदमी को अपनी बुद्धि का प्रयोग समस्या सुलझाने में करने का प्रयास करना चाहिए नकि समस्या को उलझाने में। बुद्धिमान आदमी से अच्छा मार्गदर्शन प्राप्त हो सकता है। आदमी को अपनी बुद्धि द्वारा लोगों की समस्या को समझने का प्रयास करना चाहिए। आदमी जीवन में अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थितियों में सामंजस्य बिठाए और बुद्धि का अच्छा प्रयोग करे तो जीवन अच्छा बन सकता है। आचार्यश्री की मंगलवाणी श्रवण के पश्चात् स्टील आॅथारिटी आॅफ इंडिया के डायरेक्टर डा. समर सिंह ने भी आचार्यश्री के दर्शन कर अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी और आचार्यप्रवर से पावन आशीर्वाद भी प्राप्त किया। आचार्यप्रवर ने बोकारोवासियों को अपने श्रीमुख से सम्यक्त्व दीक्षा प्रदान कर उनके जीवन को नई दिशा प्रदान की।

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