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वाराणसी - भगवान पार्श्वनाथ के जन्म स्थली पर नववर्ष का कार्यक्रम

01/01/2018, वाराणसी, JTN, भगवान पार्श्व के निर्माण के अतिरिक्त चार कल्याणक भूमि, बौद्धों की पवित्र धरा, हिंदुओं का पावन धाम, संस्कृति, साहित्य एवं इतिहास की नगरी वाराणसी में साध्वीश्री कुंथुश्रीजी एवं साध्वीश्री गुप्तिप्रभाजी के सान्निध्य में जैन श्वेतांबर तेरापंथ भवन में नव वर्ष का कार्यक्रम आयोजित किया गया। 
साध्वीश्री कुंथुश्रीजी ने फरमाया - नया वर्ष खुशियों का सैलाब लेकर आता है। नया उल्लास, नया प्रकाश, नया उत्साह लेकर आता है। जीवन एक पन्ना है, एक उर्जा है, एक शक्ति है, एक गति है। जीवन एक यात्रा है, पल-पल दिन, माह, वर्ष व्यतीत हो रहे हैं। समय को सार्थक बनाया जाए। 
धन्य वह होता है जो जागता है, प्रमाद नहीं करता। नई जिंदगी की शुरुआत ही नया वर्ष है। सबसे बड़ी उपलब्धि है शांति, समता। सदा प्रसन्न रहें, आनंदित रहें। अपनी कर्मजा शक्ति मौलिक चिंतन सही सोच के साथ नव वर्ष को समुज्ज्वल बनाएं, वर्तमान में जिएं, अतीत का अवलोकन करें, संकल्पों की वंदनवार सजाकर नए वर्ष का स्वागत करें।
हमारे जीवन का मंगल प्रभात हो, प्रत्येक दिन मंगलमय हो, आनंदमय हो, समाधिमय हो। अपने प्रति, परिवार के प्रति, समाज के प्रति मंगल कामना करें। अहिंसा की साधना धर्म की आराधना से भविष्य का निर्माण करें। 
साध्वीश्री गुप्तिप्रभाजी ने कहा नववर्ष में अतीत से प्रेरणा लें, भविष्य के लिए संकल्प करें और वर्तमान को पवित्र व उज्जवल बनाने के लिए ऐसे संकल्प करें जो जीवन में स्थाई सुख व आनंद की अभिवृद्धि करें। आज आप और हम सब प्रेम, परस्परता, पवित्रता, प्रसन्नता को बढ़ाएं और प्रमाद को घटाएं। इस पंचामृत का पान कर नव वर्ष का शुभारंभ करें जिससे सभी कार्य मंगलमय होंगे। मंगलाचरण साध्वीश्री भावितयशाजी ने किया। साध्वीश्री कुसुमलताजी ने वक्तव्य दिया तथा साध्वीश्री सुलभयशाजी, साध्वीश्री मौलिकयशाजी व साध्वीश्री भावितयशाजी ने सुमधुर गीत का संगान किया। सभा के मंत्री श्री राजेंद्रजी सेखानी ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वीश्री सुमंगलाश्रीजी ने किया। उपस्थित श्रावकों ने नववर्ष के उपलक्ष्य में एक एक संकल्प किये तथा वृहद मंगलपाठ को सुनकर धन्यता का अनुभव किया। कार्यक्रम में साध्वी श्री मौलिकयशा जी की संसार पक्षीय माँ उपासिका श्रीमती निर्मला दुधोडिया, उपासक श्री झब्बर दुगड़, श्री प्रदीप दुगड़ आदि  उपस्थित थे। तेरापंथ भवन से विहार कर साध्वीवृंद का पदार्पण श्री आलोक भंसाली श्रीमती कविता भंसाली के निवास स्थान पर हुआ।

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