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अहिंसा एवं संयम की साधना कल्याणकारी है - आचार्य श्री महाश्रमण जी

तेल नदी को पावन कर कालाहांडी जिले में महातपस्वी का मंगल पदार्पण 
लगभग 11 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री कश्रुपाड़ा स्थित जनता हाइस्कूल 

परम श्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमण जी की मनमोहक तस्वीर - आज के विहार के दौरान 


14.03.2018 कश्रुपाड़ा, कालाहांडी (ओड़िशा) : निरंतर गतिमान अहिंसा यात्रा अपने प्रणेता, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, मानवता के मसीहा, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के साथ तेल नदी को पावन बनाते हुए बलांगीर जिले से कालाहांडी जिले में प्रविष्ट हुई तो मानों कालाहांडी की फिजाओं में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की खुशबू घुलती चली गई और छा गया चारों ओर आध्यात्मिक का वातावरण। 

बुधवार की प्रातः राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 26 पर स्थित बलांगीर जिले बेलगांव से आचार्यश्री ने अपनी धवल सेना संग मंगल प्रस्थान किया तो कुछ मीटर की दूरी के पश्चात ही आचार्यश्री के मंगल ज्योतिचरण बढ़ते हुए कालाहांडी जिले की सीमा में पड़े तो मानों पूरा कालाहांडी जिला आध्यात्मिक आवरण में लिपट गया। दोनों जिलों की भेद रेखा के रूप में स्थापित तेल नदी पर बने पुल को अपने चरणरज से पावन बनाते हुए महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी कालाहांडी जिले में गतिमान हुए। इसके साथ ही तेरापंथ के ग्यारहवें आचार्य ने ओड़िशा राज्य के ग्यारहवें जिले के रूप में कालाहांडी जिले में विहरणमान हुए। आचार्यश्री मार्ग के आसपास वाले गांवों के ग्रामीणों को अपने आशीर्वाद से लाभान्वित करते हुए कुल लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर कश्रुपाड़ा स्थित जनता हाइस्कूल में पधारे। 

स्कूल से थोड़ी दूर स्थित उपासक श्री कैलाश जैन के आवास परिसर में बने प्रवचन पंडाल में आचार्यश्री अपने मंगल प्रवचन को पधारे। वहां उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी सुनता है। इसके लिए आदमी को दो कान भी प्राप्त हैं। कई चाहे-अनचाहे भी सुनना हो सकता है। मनचाहा चीज के श्रवण से लाभ प्राप्त होता है तो कई बार अनचाहा सुनने से भी लाभ प्राप्त हो सकता है। इसके लिए आचार्यश्री ने रोहिणी चोर के कानों में अनचाहे में पड़ी भगवान महावीर के वचन कानों में पड़े और उसका उसे लाभ प्राप्त होने की कथा सुनाते हुए कहा कि आदमी को अच्छी वाणी सुनने की प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि महापुरुषों की अनचाही वाणी का श्रवण भी कल्याणकारी हो सकता है। आदमी को सुनने से ज्ञान प्राप्त होता है। आदमी सुनकर धर्म को जान लेता है और अधर्म को भी जान लेता है। आदमी को दोनों को जानने के बाद धर्ममय आचरण करने का प्रयास करना चाहिए। ठगी, चोरी, निंदा, हिंसा व हत्या आदि से बचने का प्रयास करना चाहिए। अहिंसा और संयम की साधना करने वाले का कल्याण हो सकता है। आदमी अच्छे ज्ञान का श्रवण करे और एक-एक पाप का भी त्याग करे तो आदमी अच्छाई के रास्ते पर आगे बढ़ सकता है। 

मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने यहां के रहने वाले श्रद्धालुओं को सम्यक्त्व दीक्षा प्रदान की। तत्पश्चात आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं और ग्रामीणों को अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को भी स्वीकार कराया। 

आचार्यश्री की मंगलवाणी का श्रवण करने और संकल्पों को स्वीकार करने के उपरान्त श्रीमती अर्चना जैन व श्रीमती भावना जैन ने समवेत स्वर में स्वागत गीत का संगान किया। श्री सचिन जैन ने अपने हर्षित भावों को अभिव्यक्त किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। गांव के पूर्व सरपंच श्री परशुराम पारी ने भी अपनी हर्षाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। 


देश की भावी पीढ़ी की उज्जवल बनाने हेतु प्रेरणा प्रदान करते हुए अहिंसा यात्रा के संवाहक आचार्य श्री महाश्रमण जी (Aacharya Shri Mahashraman Ji Addressing School Students)


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