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आदमी अपनी गलतियों का प्रयाश्चित कर ले तो उसके जीवन के लिए अच्छा कार्य हो जाता है : आचार्य श्री महाश्रमण जी

रामभद्रपुरम में धवल सेना के साथ तेरापंथ के राम का पदार्पण 
-श्री वेंकटेश्वर जूनियर काॅलेज से आचार्यश्री ने दिया श्रद्धालुओं को पावन संबोध 

07.04.2018 रामभद्रपुरम, विजयनगरम् (आंध्रप्रदेश), JTN, दक्षिण भारतीयों का मंगल करने, मंगल संकल्पों के साथ मंगलकारी अहिंसा यात्रा के साथ निकले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी दक्षिण की धरा पर पधार चुके हैं। आचार्यश्री की इस दक्षिण यात्रा का प्रथम राज्य बनने का सौभाग्य आंध्रप्रदेश को प्राप्त हुआ है। यों तो अहिंसा यात्रा अब तक भारत के बारह राज्यों की यात्रा सकुशल सुसम्पन्न कर तेरहवें राज्य के रूप में आंध्रप्रदेश में गतिमान हो रही है। महातपस्वी की यह मंगलकारी यात्रा आंध्रप्रदेश के लोगों का मंगल कर रही है। 
आंध्रप्रदेश के विजयनगरम् जिले के गांवों और नगरों से गुजरती अहिंसा यात्रा स्थानीय लोगों के लिए आश्चर्य का विषय बनी हुई है। स्थानीय लोग जिस आश्चर्य के साथ इस यात्रा को निहारते हैं, उन्हें जब स्थानीय श्रद्धालुओं व तेलगु भाषा में लिखित प्रचार सामग्रियों के माध्यम से आचार्यश्री की विराट और विकट यात्रा के बारे में जानकारी होती है तो मानों वे श्रद्धा के भाव से भर उठते हैं और आचार्यश्री को करबद्ध वंदन कर आशीर्वाद प्राप्त करने लगते हैं। इतना ही नहीं, जहां भी आचार्यश्री का प्रवास होता है, वहां भी ग्रामीणों के आने का क्रम लगा रहता है। आंध्रप्रदेश में हिन्दी की समझ कम होने से थोड़ी मुश्किल तो हो रही है, किन्तु भावाभिव्यक्ति के लिए शायद किसी तरह का भाषा बंधन नहीं होता। इसलिए श्रद्धा के साथ आने वाले ग्रामीणों को आचार्यश्री के दर्शन भी प्राप्त होते हैं और आचार्यश्री ने द्वारा उन्हें मंगल आशीर्वाद भी प्राप्त हो जाता है। 
शनिवार को आचार्यश्री बोबली से मंगल प्रस्थान किया तो सुबह की पवन शरीर को शीतलता प्रदान कर रही थी, किन्तु ज्यों-ज्यों सूर्य आसमान में चढ़ता जा रहा था गर्मी का प्रभाव बढ़ता जा रहा था। मार्ग के दोनों ओर खेतों में मेहनती किसान गर्मी में उगाई गई सब्जियों की सिंचाई, निराई, गुड़ाई व उनके फलों को तोड़कर बाजार में ले जाने में जुटे हुए थे। इस दौरान जब उन्हें अहिंसा यात्रा प्रणेता के आगमन की सूचना मिलती, वे साश्चर्य आचार्यश्री के दर्शन को उपस्थित हो थे तो महातपस्वी भी उन्हें मोहक मुस्कान के साथ पावन आशीर्वाद प्रदान कर रहे थे। लगभग दस किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री रामभद्रपुरम स्थित श्री वेंकटेश्वर जूनियर काॅलेज में पधारे। रामभद्रपुरम में आचार्यश्री का आगमन तेरापंथ के राम की तरह था। 
कालेज परिसर में बने प्रवचन पंडाल से आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन प्रदान करते हुए कहा कि जो आदमी कोई कार्य करता है, उसी से ही गलतियां भी होती हैं। जो आदमी चलता है वह गिरता भी है, किन्तु आदमी को गलतियों से सीखने का और गिरकर संभलने का प्रयास करना चाहिए तथा आदमी को एकबार हुई गलती को दुबारा न करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपनी गलतियों का परिस्कार भी करने का प्रयास करना चाहिए। गलती का परिस्कार करने से आदमी की आत्मा का शोधन हो सकता है। पूर्वकृत गलतियों से सीखते हुए उस गलती का पुनरावर्तन न हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए। आदमी अपनी गलतियों का प्रयाश्चित कर ले तो उसके जीवन के लिए अच्छा कार्य हो जाता है। प्रायश्चित के द्वारा आदमी की आत्मा का शोधन होता है और आत्मा निर्मलता को प्राप्त कर सकती है। 

आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन के उपरान्त काॅलेज के प्रिन्सिपल श्री वी. कृष्णा व उनके सहयोगियों को अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प स्वीकार कराए। आचार्यश्री की मंगल में उपस्थित विशाखापट्टनम तेरापंथ महिला मंडल व कन्या मंडल की सदस्यायों ने पृथक-पृथक गीत के माध्यम से आचार्यश्री के चरणों में अपनी भावभरी वंदना अर्पित की तथा आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद भी प्राप्त किया। 

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