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आदमी को परिमितभाषी बनने का प्रयास करना चाहिए - आचार्य श्री महाश्रमण जी

बोबिली की धरा पर पधारे शांतिदूत, दर्शन को पहुंचे बोबिली के युवराज 
तेरह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री बोबिली स्थित श्री सूर्य विद्यालय 


Great Jain Saint - Aacharya Shri Mahashraman, During His Ahimsa Yatra in Aandhra Pradesh. 


06.04.2018 बोबिली, विजयनगरम् (आंध्रप्रदेश) :  आदमी के जीवन में भाषा का बहुत उपयोग है। दुनिया में ऐसे प्राणी भी हैं, जो बोलते नहीं हैं। वे भाषारहित होते हैं। संसार में अनंत-अनंत प्राणी ऐसे हैं जो वचन से विहीन हैं। मनुष्य ऐसा प्राणी है, जिसके पास एक विकसित भाषा का तंत्र हैं और भाषा के शब्द भी हैं। बोल कर आदमी किसी का भला भी कर सकता है और बोलकर बिगाड़ भी सकता है। बोलकर शांति भी प्रदान कर सकता है और बोलकर किसी को दुःखी भी कर सकता है। आदमी को अपना बोलना अच्छा बनाने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने यह पावन प्रेरणा बोबली स्थित श्री सूर्य विद्यालय परिसर के पास उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रदान की। 

शुक्रवार को आचार्यश्री सीतानगरम से पावन प्रस्थान किया तो आसमान में बादल छाए हुए थे। इस कारण सूर्य दिखाई नहीं दिया। सूर्य के रश्मियों का धरती पर स्पर्श न होने के कारण वातावरण में शीतलता व्याप्त थी। विहार मार्ग के आसपास के गांवों को दर्शन देते और अपने आशीष का अभिसिंचन प्रदान करते हुए आचार्यश्री आज के गंतव्य स्थल बोबली से कुछ किलोमीटर की दूरी पर थे तब बोबली के युवराज श्री रंगाराव गारू बेबी नयना ने आचार्यश्री के दर्शन कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया तथा आचार्यश्री के साथ पैदल भी चले। आचार्यश्री लगभग 13 किलोमीटर का विहार कर बोबली स्थित श्री सूर्य विद्यालय प्रांगण में पधारे। 

आचार्यश्री ने उपस्थित हुई समुपस्थित जनता को वाणी को अच्छा बनाने का सूक्त बताते हुए कहा कि आदमी को परिमितभाषी बनने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को बिना मतलब न बोले। जब तक कोई न पूछे तब तक अपने मन से नहीं बोलने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को कम बोलने का प्रयास करना चाहिए। ज्यादा बोलने झूठ भी बोला जा सकता है। इसलिए आदमी को जरूरत के हिसाब से ही बोलने का प्रयास करना चाहिए। 

आदमी को मृषावाद अर्थात झूठ बोलने से बचने का प्रयास करना चाहिए। मृषावाद से यथासंभव बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपनी वाणी को सोच-समझकर उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी जितना वाणी का संयम करेगा, उसकी वाणी सुन्दर हो सकती है। 

आचार्यश्री ने लोगों को गुस्से से बचने और गुस्से को असफल बनाने की प्रेरणा प्रदान की साथ ही आचार्यश्री ने लोगों को अनुकूल अथवा प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मानसिक संतुलन बनाए रखने को उत्प्रेरित किया। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन का सार दुभाषिए द्वारा तेलगु भाषा में लोगों को बताया गया। तत्पश्चात् आचार्यश्री ने उपस्थित लोगों को अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्प भी स्वीकार करवाएं |

आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित बोबली के युवराज श्री रंगाराव गारू बेबी नयना, बोबली चेयरमेन तुमुला अच्युतावली, स्टेट फाइनेंस मेम्बर तुमुला भास्कर राव गारू, साईं रमेश व विद्यालय के प्रबन्धक श्रीनिवास राव प्रसाद राव ने भी स्थानीय भाषा में आचार्यश्री का अभिनन्दन व स्वागत करते हुए अपनी भावाभिव्यिक्ति दी तथा आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद भी प्राप्त किया। 

Great Jain Saint - Aacharya Shri Mahashraman, During His Ahimsa Yatra in Aandhra Pradesh.


Aacharya Shri Mahashraman Ji ke Pravachan Sunte huye Shrawak Samaj

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