'सिटी आॅफ विक्ट्री' में परीषजयी महातपस्वी का मंगल पदार्पण
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दो जैन सम्प्रदाय का आध्यात्मिक मिलन |
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अनेक जैनेतर लोगों ने भी शांतिदूत की अहिंसा यात्रा का किया वेलकम |
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भव्य, विशाल व सुन्दर जुलूस के साथ विजयवाड़ावासियों ने किया अपने आराध्य का अभिनन्दन |
28.05.2018 विजयवाड़ा, कृष्णा (आंध्रप्रदेश), JTN, दक्षिण भारत की धरा पावन बनाने को जब जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी जब अपनी श्वेत रश्मियों के दक्षिणायन हुए तो इस महासूर्य से ज्योतित होने वाला प्रथम राज्य बना आंध्रप्रदेश। इस प्रदेश के विभिन्न शहरों, गांवों, जिलों से होते हुए सोमवार को अपनी श्वेत रश्मियों संग कृष्णा जिले के मुख्य शहर 'सिटी आॅफ विक्ट्री' के नाम से प्रसिद्ध विजयवाड़ा की धरती पर पधारे तो मानों पूरा विजयवाड़ा शहर ही महातपस्वी के स्वागत में बिछ-सा गया। विजयवाड़ा में परीषजयी आचार्यश्री महाश्रमणजी का प्रथम आगमन समाज के प्रत्येक वर्ग में नवीन ऊर्जा का संचार कर रहा था।
विजयवाड़ा शहर आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के किनारे अवस्थित है। पूर्व में इसे बैजवाड़ा के नाम से भी जाना जाता है। यहां मां दुर्गा का कनक दुर्गा के नाम से पूजा की जाती है। और दुर्गा के 108 नामों में एक नाम विजया भी है। इसलिए इस शहर का नाम विजयवाड़ा भी है। शहर के एक किनारे से बहने वाली पौराणिक नदी कृष्णा तो दूसरी ओर से पहाड़ों और उन पर अवस्थित देवालयों और संग्रहालय पर्यटक लोगों को इस शहर की ओर खिंच लाते हैं। आंध्रप्रदेश के राजधानी अमरावती भी विजयवाड़ा और उसके आसपास के अन्य क्षेत्रों को मिलाकर ही बसाने की योजना है।
ऐसे विजयवाड़ा की हवा में आध्यात्मिक सुगंध घोलने, मानवता का संदेश देने के लिए सोमवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग इनीकेपडू स्थित एस.आर.के. इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्नोलाॅजी ने प्रस्थान किया। जैसे-जैसे शहर नजदीक आता जा रहा था आचार्यश्री के पदचिन्हों का अनुसरण करने वाली संख्या में बढ़ती जा रही थी। शहर की सीमा में आचार्यश्री के ज्योतिचरण जैसे ही पड़े मानों पूरा शहर जगमगा उठा और उमड़ पड़ा विजयवाड़ावासियों के भावनाओं का ज्वार। जैन-जैनेतर का भेद मिटा सद्भावना का संदेश देते लोग आचार्यश्री की झलक पाने को लालायित थे। तेरापंथ भवन से अपने आराध्य के साथ आरम्भ हुआ सुन्दर जुलूस मुगलराजपुरम् स्थित सिद्धार्थ काॅलेज परिसर पहुंचा। जहां आचार्यश्री ने काॅलेज परिसर में द्विदिवसीय प्रवास के लिए मंगल प्रवेश किया।
काॅलेज परिसर में ही बने आॅडिटोरियम में उपस्थित जनसमूह को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को सम्यक् ज्ञान हो जाना, उस पर श्रद्धा हो जाना और उसका चरित्र में उतर जाना सम्यक् बोधि की प्राप्ति हो सकती है। आचार्यश्री ने चतुर्दशी तिथि होने के कारण आचार्यश्री ने उपस्थित साधु-साध्वियों व समणियों सहित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि तुच्छ बातों को लेकर शासन को छोड़ने की बात सोचनी भी नहीं चाहिए। प्राण छूटे तो छूटे शासन से संबंध नहीं टूटना चाहिए। आचार्यश्री ने विजयवाड़ा आगमन में संदर्भ में लोगों को पावन आशीष प्रदान किया। इसके उपरान्त उपस्थित साधु-साध्वियों ने लेखपत्र का उच्चारण किया।
आचार्यश्री ने विजयवाड़ावासियों को अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को स्वीकार करने का आह्वान किया तो उपस्थित जनमेदिनी एक साथ अहिंसा यात्रा के तीनों संकल्पों को सहर्ष स्वीकार किया।
आचार्यश्री के आगमन से हर्षित जैन धर्म के संत संयम रत्न विजयजी भी आचार्यश्री के दर्शनार्थ उपस्थित थे। आचार्यश्री का मंगल प्रवचन श्रवण के पश्चात् उन्होंने विजयवाड़ा आगमन के संदर्भ में अपनी हर्षाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि सभी का कल्याण करने वाले आचार्यश्री महाश्रमणजी का आज विजयवाड़ा में मंगल पदार्पण हुआ है। दो दिन पहले तक हमारा जो गला खराब था, आवाज निकली मुश्किल हो रही थी, वह आज स्पष्ट निकल रही है, यह आपके आगमन का ही चमत्कार है। आचार्य भगवन् जो आप तीनों संकल्पों को लेकर गांव-गांव, नगर-नगर, डगर-डगर चल रहे हैं, वह जन-जन का कल्याण करने वाला है। आपका चतुर्मास भी चेन्नई में है और हमारा चतुर्मास भी चेन्नई है तो हम आपसे यह आशीर्वाद चाहेंगे कि आपकी प्रेरणा हमें भी प्राप्त होती रहे और हम आप में ही अपने गुरु के दर्शन करते रहें। उन्होंने आचार्यश्री के स्वागत में स्वरचित गीत का संगान भी किया।
अमरावती के विधायक श्री श्रवण कुमार आचार्यश्री के स्वागत जुलूस ही नहीं, आचार्यश्री का पूरा मंगल प्रवचन भी श्रवण किया। इसके उपरान्त उन्होंने आचार्यश्री के विजयवाड़ा आगमन में संदर्भ में स्वागत-अभिनन्दन करते हुए अपनी भाषा में अपनी भावनाओं को भी अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीष प्राप्त किया।
तेरापंथी सभा विजयवाड़ा के अध्यक्ष श्री विनीत श्यामसुखा, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री मनोज पुगलिया, महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती कुसुम डोसी, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री निरलेश डागा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने भावपूर्ण प्रस्तुति दी। विजयवाड़ा तेरापंथ समाज ने सामूहिक गीत का संगान किया। समणी रोहिणीप्रज्ञाजी तथा समणी सत्यप्रज्ञाजी ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
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