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आचार्य श्री महाश्रमण जी ने जीवन में दया और अनुकंपा को अपनाने की दी पावन प्रेरणा

महातपस्वी से मंगल आशीष लेने पहुंची भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, मेरा सौभाग्य जो आचार्यश्री के दर्शन का मिला सौभाग्य व मंगलवाणी श्रवण का अवसर

आचार्यश्री ने जीवन में दया और अनुकंपा की महत्ता को किया व्याख्यायित 

असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने बच्चों को संस्कारी बनाने की जिम्मेदारी मां की 

24.07.2018 माधावरम, चेन्नई (तमिलनाडु), JTN, दक्षिण भारत की धरती पर प्रथम चतुर्मास करने के लिए तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई महानगर के माधावरम में बने भव्य चतुर्मास प्रवास स्थल में पधारे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, महातपस्वी, अखंड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी को अभी तीन दिन ही व्यतित हुए हैं, लेकिन इन्हीं तीन दिनों में राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर के विशिष्ट लोगों के आने का मानों तांता-सा लगा हुआ है। आचार्यश्री के मंगल प्रवेश पर आचार्यश्री का वेलकम करने के लिए सर्वप्रथम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री इ. के. पलनीसामी पहुंचे। दूसरे दिन तमिलनाडु के राज्यपाल श्री बनवारीलाल पुरोहित ने आचार्यश्री के मंगल दर्शन किए तो तीसरे दिन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दर्शन कर पावन आशीष प्राप्त किया। 
इसी क्रम में मंगलवार को आचार्यश्री से मंगल आशीष प्राप्त करने के लिए भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती विजया रहाटकर पहुंची। आचार्यश्री से मंगल आशीष प्राप्त कर और पावन प्रवचन श्रवण के पश्चात श्रीमती विजया रहाटकर ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे आचार्यश्री महाश्रमणजी जैसे महान गुरुजी के दर्शन करने और मंगल प्रवचन को सुनने का सुअवसर मिला। आचार्यश्री अहिंसा यात्रा के साथ जो संकल्प लेकर चले हैं, वह संकल्प सभी का कल्याण करने वाली है। हम सभी आपके बताए मूल्यों को अपने जीवन में और कार्यों में भी बनाए रखने का प्रयास करूंगी। 
इसके पूर्व आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि पूर्वकृत पुण्य आदमी की रक्षा कर देते हैं और जब पाप कर्मों का उदय हो तो कोई बचा नहीं सकता। इसलिए आदमी को ऐसा कर्म करने का प्रयास करना चाहिए, जिससे उसके पाप कर्म का बंध न हो। आदमी के भीतर दया और अनुकंपा का भाव पुष्ट होना चाहिए। आदमी के भीतर दया का भाव है तो विभिन्न प्रकार के पापों से बचाव हो सकता है। आदमी दयावान बने और झूठ-कपट से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए। 
श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए असाधारण साध्वीप्रमुखाजी ने कहा कि जब तक एक मां बच्चों का अच्छा संस्कार नहीं देती, देश का नागरिक संस्कारी नहीं हो सकता। क्योंकि बच्चों को नैतिक मूल्यों और संस्कारों की शिक्षा प्रथम घर से और विद्यालयों से प्राप्त होती है। मां बच्चों की पहली पाठशाला होती है। स्त्री ममता, समता का प्रतिरूप होती है। अगर महिला घर को स्वर्ग बनाने का प्रयास करे तो सबकुछ अच्छा हो सकता है। कार्यक्रम के अंत में आचार्यश्री महाश्रमण चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के महामंत्री श्री रमेश बोहरा व अन्य ने भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष को स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।




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