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तेरापंथ विश्व भारती के न्यास की शुभारंभ संगोष्ठी का भव्य एवं गरिमामय समायोजन

जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा ट्रस्ट की प्रथम बैठक 

संस्थापक मुख्य संरक्षक न्यासियों ने किए स्वर्णिम आलेख पर हस्ताक्षर

आचार्यप्रवर ने कहा -'अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य, अतिमहत्त्वपूर्ण उत्साह'
परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमण के जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर 12 मई 2019 जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ की महत्त्वपूर्ण परियोजना तेरापंथ विश्व भारती के न्यास की शुभारंभ संगोष्ठी का भव्य एवं गरिमापूर्ण समायोजन हुआ। 'शुभ भविष्य है सामने' इस ध्येय वाक्य को केन्द्र में रखकर निर्मित तेरापंथ समाज की इस अतिमहत्त्वपूर्ण परियोजना को साकार रूप देने के लिए गठित जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा ट्रस्ट की इस शुभारंभ संगोष्ठी में तेरापंथ समाज के सौ से अधिक वरिष्ठ गणमान्य और उदारमना महानुभावों की उत्साहपूर्ण उपस्थिति इस परियोजना की महत्ता को दर्शा रही है। मध्याह्न करीब सवा तीन बजे मंगल तिलक के द्वारा सभी संभागियों का सादर स्वागत किया गया। लगभग 3.50 बजे परम पूज्य आचार्यप्रवर के द्वारा उच्चरित मंगलपाठ से इस शुभारंभ संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
तत्पश्चात् सभी महानुभाव संगोष्ठी स्थल पर पहुंचे। सादगीपूर्ण, किन्तु आकर्षक और अनूठे रूप में सज्जित शुभारंभ संगोष्ठी स्थल का रूप निर्धारित वेशभूषा में समागत सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति से और भी निखर गया। नमस्कार महामंत्र और 'हमारे भाग्य बड़े बलवान्' गीत की गुंजार से संगोष्ठी स्थल ही नहीं, संभागियों के हृदय भी गूंज उठे।

ज्ञातव्य है कि कल्याण परिषद की स्वीकृति से तेरापंथी महासभा के द्वारा तेरापंथ विश्व भारती की परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा ट्रस्ट के नाम से एक ट्रस्ट गठित किया जाना निर्णीत किया गया। तदनुसार 27 अप्रेल 2019 को महासभा के द्वारा जैन श्वेताम्बर महासभा ट्रस्ट के नाम से एक न्यास का विधिवत गठन कर लिया गया है, जिसके अंतर्गत इस परियोजना को साकार रूप दिया जाएगा। न्यास के गठन के साथ ही लगभग 101 व्यक्तियों ने इस न्यास से संस्थापक मुख्य संरक्षक न्यासी के रूप में जुड़ने हेतु स्वीकृति दी है। दिल्ली में 50 एकड़ की भूमि पर तेरापंथ विश्व भारती का निर्माण करने का निर्णय किया गया है।
शुभारंभ संगोष्ठी के प्रारंभ में महासभा के अध्यक्ष श्री हंसराज बैताला एवं प्रधान न्यासी श्री कन्हैयालाल जैन पटावरी ने उपस्थित सदस्यों का स्वागत करते हुए आह्वान किया कि इस महनीय परियोजना में सभी लोग तन-मन-धन से सहयोग प्रदान कर तेरापंथ समाज की इस महत्वपूर्ण परियोजना को आगे बढ़ाने का प्रयास करें।

तत्पश्चात् तेरापंथ विश्व भारती के न्यास जैन श्वेताम्बर महासभा ट्रस्ट के स्वर्णिम आलेख पर हस्ताक्षर का दौर शुरू हुआ। जिसके अंतर्गत 'फाउण्डर चीफ पेट्रन ट्रस्टी' के रूप में इस ट्रस्ट से जुड़ने की स्वीकृति प्रदान करने वाले समाज के 101 उदारमना महानुभावों में से उपस्थित व्यक्तियों ने हस्ताक्षर कर स्वयं गौरव का अनुभव किया और अपनी भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्पद और गरिमास्पद कार्य संपादित किया। इस आलेख के अंतर्गत न्यासियों द्वारा तेरापंथ विश्व भारती की स्थापना, सुरक्षा व विकास के लिए सदैव सौहार्दभाव के साथ समर्पित सजग तथा सक्रिय रहने का संकल्प भी व्यक्त किया गया। महासभा के महामंत्री श्री विनोद बैद ने इस उपक्रम का कुशल संचालन करते हुए सभी न्यासियों का परिचय प्रस्तुत कर उन्हें हस्ताक्षर के लिए आमंत्रित किया।
तदुपरान्त उपस्थित न्यासियों ने इस अतिमहत्त्वपूर्ण परियोजना के संदर्भ में अपने बहुमूल्य सुझाव प्रस्तुत किए तथा चिंतनपूर्वक ट्रस्ट के संदर्भ में कई आवश्यक निर्णय भी लिए। सभी न्यासियों का मानना था कि यह परियोजना तेरापंथ धर्मसंघ के लिए एक ऊंची उड़ान है और तेरापंथ समाज इस नवनिर्माण के माध्यम से प्रगति के पथ पर दु्रतगति से अपने चरण गतिमान करेगा। यह उपक्रम संघ व समाज के लिए एक महत्त्वपूर्ण अवदान सिद्ध होगा। इस परियोजना से जुड़कर हम अपने-आपको सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं। बेंगलुरु प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मूलचन्द नाहर ने महासभा ट्रस्ट को इक्कीस लाख रूपए का चैक भेंट कर नवीन ट्रस्ट में अनुदान श्रृंखला का भी शुभारंभ कर दिया।

संगोष्ठी के उपरान्त फाउण्डर चीफ पेट्रोन ट्रस्टी के रूप में जुड़ने की स्वीकृति प्रदान करने वाले लोगों की आकर्षक गु्रप फोटो ली गई, जो न केवल जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा ट्रस्ट के इतिहास में सदैव अंकित रहेगा, अपितु उनकी आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देता रहेगा। 

परम पूज्य आचार्यप्रवर स्वयं रात्रि में करीब 8.30 बजे संगोष्ठी स्थल पर पधारे और पट्टासीन हुए। महासभा के अध्यक्ष श्री हंसराज बैताला व प्रधान न्यासी श्री कन्हैयालाल जैन पटावरी ने परम श्रद्धेय आचार्यप्रवर के समक्ष महासभा ट्रस्ट व संगोष्ठी के विषय में अवगति प्रस्तुत की। महासभा के महामंत्री श्री विनोद बैद ने सभी महानुभावों का परिचय प्रस्तुत किया। अपनी परिचय प्रस्तुति के दौरान प्रत्येक न्यासी ने अपने स्थान पर खड़े होकर परमाराध्य आचार्यप्रवर के दर्शन किए। आचार्यप्रवर ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। 
परम पूज्य आचार्यप्रवर ने अपने मंगल उद्बोधन में कहा--जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा ट्रस्ट के अंतर्गत तेरापंथ विश्व भारती का उपक्रम सामने आया है। इसे एक अत्यन्त महत्वपूर्ण उपक्रम माना जा सकता है। इस उपक्रम की दृष्टि से श्रावक समाज का जो उत्साह है, वह भी अतिमहत्त्वपूर्ण माना जा सकता है। दुनिया में अर्थ एक शक्ति है और साधन भी है। साध्य की प्राप्ति के लिए साधन भी जरूरी हो जाता है। उसके बिना साध्य की प्राप्ति असंभव अथवा कठिन हो सकती है। इस उपक्रम का यह प्रारंभिक योजना काल है, शक्ति संवर्धन का काल भी है। यह ध्यातव्य है कि अभी जो उत्साह है, वह सुसुप्त न हो जाए। कार्यकर्ता स्वयं जागरूक रहें और दूसरों को भी सजग करते रहें तो सुसुप्ति से बचा जा सकता है।
आज यह एक अच्छा समागम हुआ है। तेरापंथ समाज के कई अच्छे-अच्छे व्यक्ति यहां उपस्थित हुए हैं। मूल साध्य है कि आध्यात्मिक-धार्मिकता का कार्य आगे बढ़े। साध्य की प्राप्ति के लिए संसाधनों की अपेक्षा होती है, उस अपेक्षा को भी समाज की दृष्टि से गौण नहीं किया जा सकता है। संपूर्ण परियोजना में नैतिक मूल्यों का प्रभाव रहे। हर कार्य में पारदृश्यता रहे। तेरापंथ विश्व भारती मानों छलांग भरने जैसा उपक्रम है। सीढ़ियों से ऊपर जाने में और लिफ्ट से ऊपर जाने में कितना अन्तर होता है। यह उपक्रम लिफ्ट से ऊपर चढ़ने जैसा है। इस उपक्रम के अंतर्गत खूब अच्छा आध्यात्मिक धार्मिक कार्य हो, मंगलकामना।'
इस प्रकार तेरापंथ धर्मसंघ की श्रीवृद्धि के लिए सदा सर्वामना समर्पित रहने के संकल्प के साथ उत्साहपूर्ण और प्रसन्न वातावरण में तेरापंथ विश्व भारती के न्यास की शुभारंभ संगोष्ठी परिसंपन्न हुई।

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