संस्कार निर्माण का स्वर्णिम समय है बचपन - मुनी जिनेश कुमार
महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनी श्री जिनेश कुमार जी ठाना 2 के सानिध्य में 3 दिवसीय संस्कार निर्माण शिविर का समापन समारोह तेरापंथी सभा विरार द्वारा स्थानीय तेरापंथ भवन में किया गया शिविर में लगभग 104 बच्चों ने भाग लेकर ज्ञानार्जन किया इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मनी श्री जिनेश कुमार जी ने कहा संस्कार जीवन की ज्योति है संस्कार निर्माण का स्वर्णिम समय बचपन है संस्कार बचपन में ही आते हैं पचपन में नहीं संस्कार निर्माण का उद्देश्य सामने रखकर विरार में 3 दिन का शिविर रखा गया संस्कारों के संवर्धन एवं संस्कृति के संरक्षण के लिए शिविर की उपयोगिता स्वत सिद्ध है । शिविर में ज्ञान श्रद्धा संस्कार पुष्ट होते हैं मुनी जीनेश कुमार ने आगे कहां आज शिविर का समापन नहीं आज से शिविर का पुनरावर्तन प्रारंभ हो रहा है। सभी बच्चे शिविर में सीखें ज्ञान से अच्छा इंसान बनने की दिशा में आगे बढ़ेंगे । और वन्दामि,नमामि,खमामि को जीवन में अपनाएंगे तो अवश्य सफलता आपके कदमों में होगी। इस अवसर पर उन्होंने परमानंद ने कहा जीवन की सफलता में संस्कारों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है बच्चे शिविर में अर्जित किए ज्ञान को संजोए रखेंगे और संस्कारों को पल्लवित करते रहेंगे इसी में शिविर की सफलता है इस अवसर पर प्रशिक्षक उपासक गौतम जी वेदमुथा ने संस्कार को जरूरी बताते हुए शिविर को सफल बताया इस अवसर पर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष तेजराज जी युवक परिषद के अध्यक्ष विजय धाकड़ महिला मंडल संयोजिका हेमा चोरड़िया पालघर तेयुप अध्यक्ष हितेश सिंघवी व शिविरार्थी मैं दक्ष धाकड़,पियूष सिंघवी,हनी बाफना, हेतल बाफना, निकिता चौहान, दक्ष डांगी,आर्या हिरण,दिशा कोठारी कशिश कोठारी आदि ने अपने शिविर के अनुभव सुनाए और ऐसे शिविरों की आवश्यकता बताई शिविर में नाना प्रकार की प्रतियोगिता रखी गई जिसमें ॐ अर्हम प्रतियोगिता में प्रथम स्थान ध्रुव जैन ने प्राप्त किया। मौखिक परीक्षा में 5 से 10 वर्ष की आयु मैं प्रथम संयम सिंघवी द्वितीय संयम बाफना 10 से 15 वर्ष की आयु सीमा मेंमंथन जैन द्वितीय टीसा कोठारीबडे बालक बालिकाओं में प्रथम ईशा सिंघवी द्वितीय हेतल बाफना रही। सर्वोच्च विद्यार्थी का पुरस्कार दक्ष डांगी व कशिश कोठारी ने प्राप्त किया। सामायिक करने में प्रथम संयम जैन व कशिस कोठारी का रहा जिन्होंने14 सामायिक की। इस शिविर में वीरार वसई नालासोपारा, सफाला, पालघर, बोइसर आदि के शिविरार्थी थे। मुनि जिनेश कुमार जी ,मुनि परमानंद जी के अलावा उपासक गौतम जी वेदमुथा, लक्ष्मी मेहता, हेमा चोरडिया,पायल जैन, भावना बाफना,ममता हिंगड़,किरण हिंगड़,मयूरी सोलंकी, साधना फुलफगर आदि ने प्रशिक्षण दिया शिविर को सफल बनाने में तेजराज हिरण ,अजयराज फुलफगर, विजय धाकड़, हेमंत धाकड़,विनोद कोठारी,राजेश सोलंकी,राकेस चोरडिया, हितेश हिंगड़,विनोद बाफना आदि व सभी सभा संश्थाओं का योगदान रहा
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