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जो इंद्रिय और मन के लोभ में आसक्त रहते हैं उनको सहजानंद नहीं मिल सकता - आचार्य महाश्रमण


नेकी और आध्यात्मिक की साधना में रहे रत :  आचार्य महाश्रमण
 वकील एवं न्यायाधीश सम्मेलन का शुभारंभ

19 अक्टूबर 2019, महाश्रमण समवशरण, तेरापंथ धर्म संघ के एकादशम अधिशास्ता महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अपने मंगल उद्बोधन में फरमाया पुनर्जन्म के विषय में अलग-अलग मंतव्य है। पुनर्जन्म का होना या न होना निश्चय की भाषा में कहना सही नहीं होता है। आचार्य श्री महाश्रमण जी ने अपने मंतव्य के आधार पर कहा की पुनर्जन्म होता है। जैन धर्म के कर्मवाद के सिद्धांत के आधार पर अलग-अलग जन्मों में पूर्व कर्मों को भोगना पड़ता है। व्यक्ति को यह ध्यान रखना चाहिए कि बुरे काम से बचकर अच्छे काम करने चाहिए। अगर पुनर्जन्म है तो अच्छे कर्मों का फल मिलेगा और अगर पुनर्जन्म नहीं है तो बुरे काम न करने से अच्छा ही होगा, नुकसान बिल्कुल नहीं होगा। व्यक्ति को पुनर्जन्म को मानकर नेकी और अध्यात्म की साधना करते रहना चाहिए। आचार्य प्रवर ने फरमाते हुए कहा कि जो लोग इंद्रिय और मन के लोभ में आसक्त रहते हैं उनको सहजानंद नहीं मिल सकता है। विषयों के भोग में रहने से क्षणिक आनंद प्राप्त हो जाएगा परंतु सहजानंद प्राप्त करने के लिए भौतिक सुखों को एवं आसक्ति को त्यागना ही पड़ता है। आचार्य प्रवर में साधु साध्वियों को प्रेरित करते हुए कहा कि साधु साध्वी पदार्थ को उपयोग के आधार पर ले। ना कि आसक्ति के आधार पर। रंग रूप और आकर्षण से बचकर वस्तु का उपयोग ही प्रमुख हो इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
प्रवचन में न्यायाधीश एवं वकील कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर आचार्यप्रवर ने  उपस्थित वकीलों और न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए कहा कि आदमी के द्वारा गलती हो सकती है तो उसे सुधार करने का प्रयास करना चाहिए और उसे सही मार्ग दिखाना चाहिए। सन्याय का मार्ग कठिन होता है इसमें यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी के साथ अन्याय हो। किसी भी निर्णय में  नेकी और अभय परिलक्षित होना चाहिए। न्यायाधीश एवं वकील अगर प्रलोभन से बचकर कार्य करते हैं तो वह समाज और राष्ट्र के लिए हितकारी होता है। प्रलोभन से बचने से निर्दोष को सजा नहीं मिलती है और दोषी सजा से बच नहीं सकता है। न्याय के पैशे में कर्तव्यनिष्ठा प्रमुख होती है। कर्नाटका हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश श्री कृष्ण दीक्षित ने अपने वक्तव्य में कहा कि राजा हो या रंक सभी न्यायपालिका के अंतर्गत आते हैं और न्यायपालिका न केवल राष्ट्र बल्कि समाज का भविष्य भी निर्धारित करती है। एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रंगनाथ, गौतमचंद नाहर हाईकोर्ट के वकील कमला चरण ने अपनी भावा भी व्यक्ति जी एवं आचार्य प्रवर से आशीर्वाद ग्रहण किया कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार जी ने किया।
दोपहर में  समणी हिमांशुप्रज्ञाजी , मुमुक्षु राहुल बोहरा, बेंगलुरु ,मुमुक्षु कुणाल श्यामसुखा, चेन्नई , मुमुक्षु खुश बाबेल, चेन्नई  ,मुमुक्षु आंचल बरड़िया, बेंगलुरु  गुरुदेव के दर्शन हेतु भव्य वरघोड़ा निकाला गया व आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में सांयकाल में दीक्षार्थी भाई बहनों का  मंगल भावना समारोह आयोजित हुआ |
दिनांक 20 अक्टूबर, 2019 रविवार महातपस्वी, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के पावन सानिध्य में  प्रात 9:00 बजे चातुर्मास स्थल, कुम्बलगुडू में जैन मुनि दीक्षा समारोह आयोजित है ।

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