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अहिंसा यात्रा के स्वागत में उमड़ी चंदन नगरी मैसूरु की जनता

अहिंसा यात्रा के स्वागत में उमड़ी चंदन नगरी मैसूरु की जनता
मैसूर शहर बना महाश्रमणमय
चित्त की प्रसन्नता ही सब कुछ : आचार्य महाश्रमण 

His Holiness Aacharya Shri Mahashraman ji at Mysore Today with his Ahimsa Yatra
20-11-2019, बुधवार, मैसूरु,  कर्नाटक, भारतीय की परंपरा के महान साधक, तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें अधिशास्ता शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी का अहिंसा यात्रा के साथ मैसूरु वासियों ने भव्य स्वागत किया। आज प्रभात बेला में पूज्यप्रवर का जे.एस.एस. मेडिकल कॉलेज से मंगल विहार हुआ। प्रसिद्ध चर्च सेंट फिलोमीनास में शांतिदूत का पदार्पण हुआ। जहां बिशप डॉ. के.ए.  विलियम ने आचार्य श्री का अभिनंदन किया एवं पवित्र बाइबिल भेंट किया। लगभग 8 बजे चर्च से स्वागत रैली का शुभारंभ हुआ, जो शहर से मुख्य मार्गो से होती हुई मैसूर पैलेस पहुंची। रैली में संघीय संस्थाओं के साथ-साथ सकल जैन समाजएवं जैनेत्तर समाज शांतिदूत के स्वागत में जय-जयकारों से संपूर्ण वातावरण को महाश्रमण मय बना रहा था। श्री महावीर जैन विद्यालय के बैंड समुह के कमांडर जयपाल सिंह भाटी के नेतृत्व में अहिंसा यात्रा के दौरान बैन्ड समुह द्वारा मधुर स्वर लहरिया बिखेरी जा रही थी। क्रिश्चियन स्कूल के बच्चे भी रैली में सहभागी बने। 

बिशप डॉ. के.ए. विलियम  एवं पूर्व चिकित्सा मंत्री , विधायक एस.ए.रामदास एवं विधायक एल.नागेन्द्र ने रैली में सहभागी बन पैलेस ग्राउंड में अहिंसा यात्रा का जनता के साथ भव्य स्वागत किया। पैलेस ग्राउंड में राष्ट्रगान का संगान किया गया। तत्पश्चात प्रशासन एवं पैलेस प्रबंधकों की अर्ज पर शांतिदूत मेसेरु पैलेस में पधारे एवं अवलोकन किया। लगभग 6 किमी. का विहार कर शांतिदूत आदिश्वर वाटिका में पधारे।

यहां आयोजित धर्मसभा में उद्बोधन प्रदान करते हुए शांतिदूत महाश्रमण जी ने कहा कि जीवन में प्रसन्नता का महत्वपूर्ण स्थान होता है। पद, प्रतिष्ठा, पैसा, कितना भी आजाए लेकिन चित्त में प्रसन्नता नहीं होती तो भी इन सबका कोई महत्त्व नहीं होता। यदि चित्त की प्रसन्नता रहे तो यह सब भौतिक प्रतिष्ठा भले न भी हो जीवन मे बहुत कुछ होता है। प्रसन्नता का अर्थ निर्मलता भी है। रसनेन्द्रिय को जित लेने पर शरीर की निर्मलता आ जाती है।

आचार्यवर ने आगे फरमाया की भोजन जीभ के लिए नहीं स्वास्थ्य के लिए होना चाहिए। समता के द्वारा हम मन की स्वस्थता को प्राप्त कर सकते है। समता की जीवन में बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। व्यक्ति आपदा एवं सम्पदा दोनों में समत्व रखने का प्रयास करें। प्रसन्नता हमारे भीतर रहे। किसी दूसरे के वश में हमारी प्रसन्नता न रहे। मैसूरवासियों के लिए पूज्यप्रवर ने प्रेरणा देते हुए कहा सभी में धर्म-ध्यान की भावना निरंतर बढ़ती रहे।

कार्यक्रम में 2018 में मैसूर चातुर्मास करने वाली साध्वी श्री लब्धिश्री जी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।  स्वागत समिति अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल देरासरिया, साधुमार्गी जैन संघ के श्री पारसमल, किशोर मंडल संयोजक तुषार गुलगुलिया, आदीश्वर वाटिका की महिलाओं ने पूज्यप्रवर के स्वागत में गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मंडल की कन्याओं, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियो,  सुमतिनाथ जैन महिला मंडल, बालिका मंडल ने स्वागत में प्रस्तुति दी। श्रीमती मंजुबाई पितलिया ने 35 एवं श्रीमती नवरत्नी बाई देसरिया ने 31 की तपस्या से आचार्यवर का स्वागत किया। 

तेरापंथ सरताज आचार्य श्री महाश्रमण जी के स्वागत में उमड़ा जनसैलाब : मैसूर 

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