भगवान महावीर दीक्षा दिवस पर आचार्यवर का विशेष उद्धबोधन।
शांतिदूत प्रातः 13.8 किमी एवं सायं 5.6 किमी का प्रलंब विहार कर पधारे कुप्पी
22-11-2019, शुक्रवार, कुप्पी, मैसूर, कर्नाटक,
कर्नाटक के मैसूर जिले में अहिंसा यात्रा के द्वारा शांति और नशामुक्ति का संदेश फैला रहे अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी ने आज ज्ञान सागर आश्रम से प्रभात वेला में मंगल विहार किया। विहार मार्ग में दोनों ओर की वृक्षों की कतारें शीतल छाया प्रदान कर रही थी। उतार-चढ़ाव से भरे नेशनल हाईवे 212 पर लगभग 13.8 किमी का विहार कर शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी बिलकेरे स्थित गवर्नमेंट स्कूल में पधारे।
यहां प्रवचन सभा में उद्बोधन प्रदान करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा कि जीवन में क्षमा बहुत महत्वपूर्ण होती है। क्षमा से ही मैत्री जुड़ी हुई है। व्यक्ति सभी प्राणियों के प्रति मैत्रीभाव रखे, सोचे कोई भी मेरा शत्रु नहीं है। क्षमा को जीना आसान नहीं होता। कोई कुछ प्रतिकूल आचरण करता है तो गुस्सा आ जाता है। व्यक्ति समता, मैत्री भाव में रहे और तो गुस्सा न आए।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि आज भगवान महावीर का दीक्षा दिवस है। हम भगवान के जीवन को देखें उन्होंने कितनी क्षमा की साधना की। उनके जीवन में कितनी प्रतिकूलताएं आई। फिर भी उन्होंने समता रखी, सभी के प्रति क्षमा का भाव रखा। भले चंडकौशिक की घटना हो या मनुष्य व देवताओं द्वारा उपसर्ग हो उन्होंने किसी के प्रति क्रोध भाव नहीं रखा। कोई हमें कष्ट दे तो भी हम उसके प्रति मैत्री रखें। खुद के साथ जो अनुकूल रहता है। उससे मित्रता रखना बड़ी बात नहीं परंतु जो प्रतिकूल रहे उसके लिए भी मन में मैत्री रखना बड़ी बात है। व्यक्ति संसार के सभी प्राणियों के प्रति मैत्री रखते हुए क्षमा को अपने जीवन में लाए।
आज सायं काल लगभग 5.6 किलोमीटर का विहार कर अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी कुप्पी गांव स्थित आचार्य तुलसी प्राथमिक विद्यालय में पधारे।
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