परिश्रम से होती है सभी मुश्किलें आसान: आचार्य महाश्रमण
शांतिदूत आचार्य महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ लगभग 13.4 कि.मी. का विहार कर पधारे हुंसुर
अहिंसा यात्रा के संदेशों द्वारा जन-जन का हृदय परिवर्तन करने वाले जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्म संघ के ग्यारहवें पट्टधर आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज हुंसुर में पावन पदार्पण हुआ। इससे पूर्व आचार्य प्रवर ने प्रभात वेला में कुप्पी स्थित आचार्य तुलसी प्राथमिक विद्यालय से मंगल विहार किया। विहार के दौरान दोनों और स्थित विशाल वृक्षराशि नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। सर्द हवाएं शीतलता प्रदान कर रही थी। हुंसुर नगर पदार्पण पर यहां के जैन एवं जैनेत्तर समाज के लोगों ने शांतिदूत का अभिनंदन किया। लगभग 13.4 किलोमीटर का विहार कर पूज्य प्रवर आचार्य श्री महाश्रमण जी रोटरी विद्या समस्ते, हुंसुर में पधारे।
यहां श्रावक-श्राविकाओं को अमृत देशना देते हुए शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने कहा कि कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए आदमी कठिनाइयों को सहना सीखे। कई बार कठिनाइयों को झेलने के बाद बढ़िया चीज मिल सकती है। व्यक्ति परिश्रम नहीं करने से बढ़िया चीज की प्राप्ति से वंचित रह सकता है। कठिनाइयों से घबरा कर कार्य को छोड़ना नहीं चाहिए। विघ्न-बाधा आ सकती है, उन्हें पार कर उस पार पहुंचने का प्रयास करना चाहिए। जो आदमी विघ्न बाधाओं के डर से कार्य को शुरू नहीं करता वह निम्न श्रेणी का होता है। जो व्यक्ति अच्छा कार्य शुरू कर देता है, पर बाधा आने पर उसे छोड़ देता है, वह मध्यम श्रेणी का होता है। और उत्तम श्रेणी का वह होता है जो कार्य करता है और किसी भी विघ्न बाधा में उसे छोड़ता नहीं नहीं है, बाधाओं को चीरते हुए हाथ मिलाते हुए आगे बढ़ लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। हमें उत्तम श्रेणी का आदमी बनना चाहिए का आदमी बनना चाहिए। भवसागर तारक अचार्यप्रवर ने आगे फरमाया कि पार करना है तो रास्ता खोजो। जो रास्ता मंजिल तक ले जाने वाला है, उस पर कठिनाइयों-विपदाओं को झेलने का भी साहस होना चाहिए।
पूज्य प्रवर के श्रावकों को सम्यक्त्व दीक्षा स्वीकार करवाई। मुनि कोमल कुमार जी ने अपनी भावना व्यक्त की। अनेक स्थानीय श्रावक-श्राविकाओं ने स्वागत में अपनी भावनाएं व्यक्त की।
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