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भगवान पार्श्वनाथ जन्म जयंती के अवसर पर प्रेरक उद्बोधन अभातेयुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप कोठारी की उपस्थिति में तेयुप सूरत के 1056 युवकों ने किये उपवास

ऐसी साधना करें कि आत्मा अनावृत्त हो जाए -- "शासन श्री" साध्वी श्री सरस्वती जी
अनंत काल से हम भव-भ्रमण कर रहे हैं। जब तक सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन और सम्यक् चरित्र की प्राप्ति नहीं होती तब तक मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है। मोक्ष में अवरोध रुप है अज्ञान का आवरण, मिथ्या दर्शन का आवरण और असद् चरित्र का आवरण। भगवान पार्श्वनाथ की जन्म जयंती के अवसर पर बैनर का अनावरण किया गया। लेकिन मात्र बैनर के अनावरण से क्या होगा ? हमें आत्मा को अनावृत्त करना है और उसके लिए जरूरी है शुद्ध साधना।भगवान पार्श्वनाथ एवं भगवान महावीर ने हमें शुद्ध साधना का मार्ग बताया।
आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या "शासन श्री" साध्वी श्री सरस्वतीजी ने अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा निर्देशित  एवं  तेरापंथ युवक परिषद सूरत द्वारा तेरापंथ भवन, सिटी लाइट में आयोजित "प्रभु पार्श्व प्रणति" कार्यक्रम के अंतर्गत सैकड़ों युवकों और श्रद्धावान श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए यह बात कही।
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संदीप कोठारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री महेश बाफना, राष्ट्रीय सहमंत्री श्री अभिषेक पोखरणा आदि उपस्थित रहे।
साध्वी श्री जी ने आगे कहा --भगवान पार्श्वनाथ जैन परंपरा के 23वें तीर्थंकर थे। उन्होंने चातुर्याम धर्म की स्थापना की। भगवान महावीर ने स्वयं भगवान पार्श्वनाथ के लिए पुरुषादाणीय शब्द प्रयोग किया है। पुरुषादानीय का मतलब है अति विशिष्ट। ऐसे भगवान पार्श्वनाथ की जन्म जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के आह्वान अनुसार समग्र देश में 6241 युवक उपवास कर रहे हैं, जिसमें तेयुप. सूरत के ही 1056 युवकों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। उधना परिषद् के भी 340 युवक उपवास कर रहे हैं।
आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी के संबंध में शासन श्री जी ने फरमाया - आचार्य महाप्रज्ञ विलक्षण महापुरुष थे। उनमें आचार्य कुंदकुंद, आचार्य देवर्धिगणि, आचार्य सिद्ध सेन एवं आचार्य हेमचंद्राचार्य जैसे महान् आचार्यों की विशेषताओं का समन्वय था। साध्वी श्री  संवेगप्रभाजी, हेमलता जी, एवं अर्चना श्री जी ने विविध स्तोत्रों का उच्चारण करवाया।
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री संदीप कोठारी ने कहा -- भगवान पार्श्वनाथ ने संयम और सादगी का उपदेश दिया, जो हमारे लिए अनुकरणीय है। भगवान पार्श्व की स्मृति में देशभर में उपवास का अनुष्ठान अभातेयुप. द्वारा किया जा रहा है। जिसमें सूरत, उधना, पर्वत पटिया, लिंबायत आदि सभी क्षेत्रों में विशाल संख्या में युवकों ने भाग लेकर इस कार्यक्रम की सफलता में चार चांद लगाए हैं। उसके लिए मैं सूरत उधना सहित सभी परिषदों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। उन्होंने राष्ट्रीय परिषद द्वारा संचालित होनेवाले भावी कार्यक्रमों की भी जानकारी दी। 
तेयुप सूरत के अध्यक्ष श्री प्रकाशजी छाजेड़ ने स्वागत वक्तव्य दिया एवं सायंकालीन "एक शाम महाप्रज्ञ के नाम" कार्यक्रम की जानकारी दी।कार्यक्रम का संचालन मंत्री श्री सुनिल श्रीमाल ने किया। "प्रभु पार्श्व प्रणति" कार्यक्रम के स्थानीय संयोजक श्री अमित सेठिया ने अपने अंतर्मन के भावों की अभिव्यक्ति की।

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