शांतिदूत के चरणों से पावन हुई कॉफी बागानों की नगरी चिकमंगलूर
जैन शासन प्रभावक आचार्य का हुआ भव्य स्वागत
08-12-2019, रविवार, चिकमंगलूर, कर्नाटक, JTN.
सद्भावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति की अलख जगाने वाले अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ कर्नाटक की धरा पर सानंद विचरण कर रहे हैं। इसी कड़ी में आज शांतिदूत श्री महाश्रमण जी का कॉफी स्टेट के लिए प्रसिद्ध एवं मुल्लयनागिरी पर्वत श्रेणीयों की तलहटी में स्थित नगर चिकमंगलूर में पावन पदार्पण हुआ। इससे पूर्व आचार्य श्री ने हीरामंगलूर से प्रभात वेला में मंगल प्रस्थान किया। शहर के मुख्य मार्ग एम.जी. रोड पर विशाल जुलूस में समस्त चिकमंगलूर का जैन समाज 50 वर्षों पश्चात पधारे अपने नाथ का भावभरा स्वागत कर रहे थे। पूज्यवर ने मार्ग में अनेक श्रद्धालुओं के प्रतिष्ठानों पर पावन आशीष एवं मंगलपाठ प्रदान किया। जुलूस के दौरान कर्नाटक के टूरिस्ट मिनिस्टर सी.टी.रवि अहिंसा यात्रा में सहभागी बने। लगभग 4 किमी विहार कर ज्योतिचरण श्री महाश्रमण जी दो दिवसीय प्रवास हेतु तेरापंथ भवन में पधारे।
यहां स्वागत समारोह में पावन प्रेरणा देते हुए श्री महाश्रमण जी ने कहा कि हमारी दुनिया में मंगल की कामना की जाती है। आदमी स्वयं का भी मंगल करना चाहता है और दूसरों की भी मंगल कामना की जाती है। दुनिया में सबसे बड़ा मंगल धर्म होता है। मंगल में सुमंगल करने वाला धर्म हो सकता है। आत्म शुद्धि के साधन को धर्म कहा जाता है। धर्म के तीन आयाम हैं-अहिंसा, संयम व तप। आदमी हिंसा से बचे। हमारे द्वारा किसी प्राणी को कष्ट न हो। जो व्यवहार स्वयं के लिए कष्टकारी है, उसे दूसरों के लिए साथ नहीं करना चाहिए। सब प्राणियों को अपने समान समझना चाहिए। जीवन में संयम रखना चाहिए । शुभ योग तप होता है। आदमी को ज्यादा से ज्यादा शुद्ध प्रवृत्ति में रहना चाहिए। आदमी को अपने जीवन में अहिंसा, संयम और तप के विकास का प्रयास करना चाहिए।
शांतिदूत की प्रेरणा से कार्यक्रम में विराट संख्या में उपस्थित चिकमंगलूर के जैन एवं जैनेत्तर लोगों ने अहिंसा यात्रा के संकल्प स्वीकार किये। स्थानीय विधायक, ब्रह्माकुमारी बहिनें आदि भी कार्यक्रम में सहभागी बनें। तेरापंथ महिला मंडल एवं तेरापंथ कन्या मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री मदनचंद गादिया, तेरापंथ युवक परिषद से श्री राहुल गादिया, तेरापंथ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री पुखराज गादिया, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री लालचंद भंसाली, मलनाड एरिया समिति के अध्यक्ष श्री मानक चंद गादिया, जैन संघ के अध्यक्ष श्री गौतम चंद, स्थानकवासी समाज के श्री कांतिलाल खिमेसरा, मूर्तिपूजक संघ के अध्यक्ष श्री लालचंद बरलोटा आदि ने अपने विचार रखे। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने मानवीय सुर-ताल से युक्त अपनी प्रस्तुति दी। साध्वी वैभवप्रभा जी ने अपनी जन्मभूमि पर आचार्य प्रवर का अभिनंदन किया।
कार्यक्रम में चेन्नई, बेंगलुरु एवं आसपास के अनेक क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।
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