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जीवन के मकान में रहे अच्छाइयों का प्रवास : आचार्य महाश्रमण


कडूर और बिरूर में अहिंसा यात्रा का भव्य स्वागत

H.H Aacharya Mahashran ji preaching values to the peoples of Kadur

12-12-2019, गुरुवार, कडूर, कर्नाटक
सद्भावना नैतिकता और नशामुक्ति इन तीनों आयामों से जन-जीवन का कल्याण करने वाली अहिंसा यात्रा अपने महानायक शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के पावन नेतृत्व में कडूर पहुंची तो कडूरवासी खुशियों से झूम उठे। आधी सदी बाद अपने आराध्य का अपनी भूमि पर पाकर श्रद्धालुजनों के पांव धरती पर नहीं टिक रहे थे। विभिन्न सम्प्रदायों के लोगों की सहभागिता से स्वागत जुलूस अहिंसा यात्रा के प्रथम आयाम सद्भावना की मिशाल बना हुआ था। आचार्यश्री स्थानीय मूर्तिपूजक समाज की भावभरी प्रार्थना पर कडूर के जैन उपाश्रय में भी गए और श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान किया। लगभग 8 कि.मी. की पदयात्रा कर आचार्यश्री महाश्रमण गवर्नमेंट जूनियर कॉलेज में पहुंचे। 
कॉलेज ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने समुपस्थित जनमेदिनी को संबोधित करते हुए अपने मंगल प्रवचन में कहा कि आदमी के जीवन में अच्छाइयों का प्रवास होना चाहिए। जीवन एक प्रकार का मकान है। इसमें अच्छाइयां भी रह सकती हैं तो बुराइयां भी रह सकती हैं। आदमी के लिए यह ध्यातव्य है कि उसके जीवन रूपी मकान में किसका प्रवास हो रहा है। उन्होंने कहा कि जीवन में ज्ञान का प्रकाश और सदाचार की सुगंध रहनी चाहिए। ज्ञान चेतना प्रकाश करे और संयम में विश्वास रहे।जीवन मे संयम रहे तो मानों सदाचार जीवन में आ जाता है।



आचार्यश्री ने आगे कहा कि शराब का नशा जीवन की दुर्दशा कर सकता है। शराब पीने वाले व्यक्ति का चित्त भ्रांत हो सकता है। चित्त भ्रान्त होने पर आदमी पापों , अपराधों में प्रवृत्त हो सकता है। पाप करने वाला व्यक्ति दुर्गति को प्राप्त कर सकता है। इसीलिए आदमी को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। गरीब व्यक्ति श्रम करके पैसा कमाता है और उसे शराब में उड़ा देता है तो उसकी गरीबी मिटे कैसे? नशे से अनेक कठिनाइयां हो सकती है। आदमी अपने जीवन को नशामुक्त रखे। आचार्यश्री की प्रेरणा से प्रभावित होकर बड़ी तादाद में उपस्थित कडूर के जैन एवं जैनेतर लोगों ने अहिंसा यात्रा की प्रतिज्ञाएं स्वीकार कीं। 
श्री तरुण सियाल, स्थानकवासी समाज के श्री शिवरत्न संचेती, मूर्तिपूजक समाज की ओर से श्री महावीर सुराणा, बालक चयन सियाल, श्रीमती श्वेता सुकलेचा और श्रीमती सीमा सियाल आदि ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ समाज की महिलाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सियाल परिवार की पुत्रियों ने आचार्य श्री के स्वागत में गीत का संगान किया।
सूरत चातुर्मास सम्पन्न कर 27 दिनों में लगभग 1125 कि.मी. की यात्रा कर आचार्यश्री महाश्रमणजी के सान्निध्य में पहुंचे उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी ने अपने हृदयोदगार व्यक्त किए। अपराहन में आचार्य श्री कडूर से 8 किमी की पदयात्रा कर विरूर पहुंचे। जहां जैन समाज के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया। आचार्यश्री ने रात्रिकालीन कार्यक्रम में उन्हें संबोधित करते हुए सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति को स्वीकार करने का आह्वान किया।


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