आचार्यश्री महाश्रमण जी के चरणों से पवित्र बना चित्रदुर्गा
स्वागत में उमड़ा श्रद्धा और श्रद्धालुओं का सैलाब
स्वागत में उमड़ा श्रद्धा और श्रद्धालुओं का सैलाब
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H.H Acharya Mahashraman during his speech in Chitradurga |
22-12-2019, रविवार, चित्रदुर्गा, कर्नाटक
खिलते चेहरे, उमड़ता हुआ श्रद्धा का सैलाब, धरा-गगन को गुंजायमान करते हुए जयघोष, नए परिधानों में सजे-धजे श्रद्धालु, चित्रदुर्गा का यह दृश्य अनायास सबको आकर्षित करता हुआ किसी बड़े उत्सव का रूप लिए हुए था। आखिर ऐसा हो भी क्यों नहीं, जन-जन के आराध्य हजारों किलोमीटर पैदल चल कर लाखों-करोड़ों लोगों के जीवन को उद्धार करने वाले अहिंसा यात्रा प्रणेता शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण आज इस ऐतिहासिक शहर चित्रदुर्गा में पावन प्रवेश कर रहे थे। तीनों ओर पर्वतों से घिरे इस चित्रदुर्गा शहर की सुन्दरता अहिंसा यात्रा के आगमन से और अधिक खिल उठी। चित्रदुर्गा के कनक सर्कल के निकट हजारों जैन एवं जैनेतर लोगों के स्वागत में पलक पांवडे बिछाए खडे थे।
कनक सर्कल से प्रारम्भ हुए भव्य स्वागत जुलूस में तेरापंथ समाज के साथ अन्य जैन एवं जैनेतर समाज भी उल्लासपूर्ण सजगता लिए हुए थे। विभिन्न समुदायों के लोग स्थान-स्थान पर अपनी-अपनी परम्परानुसार आचार्यश्री को वन्दन कर रहे थे तो महातपस्वी आचार्यश्री सबके श्रद्धाभावों को स्वीकार कर सब पर आशीर्वाद बरसा रहे थे। लगभग 11 किलोमीटर की पदयात्रा सम्पन्न कर आचार्यश्री तेरापंथ भवन में पहुंचे। तेरापंथ भवन के निकट आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्यप्रवर के प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखाजी और मुख्यनियोजिकाजी के उद्बोधन हुए। आचार्यश्री ने अपने पावन प्रवचन में कहा कि हमारे जीवन में शक्ति का बहुत महत्त्व होता है। जो व्यक्ति कमजोर होता है, बलहीन होता है, वह तो दया का पात्र बन सकता है। आदमी को शक्तिशाली होना चाहिए। शारीरिक शक्ति भी होती है तो मानसिक और बौद्धिक शक्ति भी होती है। और भी कई प्रकार की शक्तियां होती हैं। आदमी को यह सोचना चाहिए कि उसकी शक्ति का उपयोग क्या हो रहा है। जिस व्यक्ति की शक्ति किसी को कष्ट देने में प्रयुक्त होती है, वह दुर्जन होता है और जिसकी शक्ति कल्याणकारी कार्याें में प्रयुक्त होती है, वह सज्जन होता है। बुद्धि से समस्या को पैदा भी किया जा सकता है और उसके द्वारा समाधान भी किया जा सकता है। आदमी अपनी बौद्धिक शक्ति के द्वारा समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न करे। वह अपने बुद्धि का प्रयोग समस्या को बढाने में या उसे पैदा करने में न करे।
अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यप्रवर के आह्वान पर चित्रदुर्गावासियों ने अहिंसा यात्रा के संकल्प स्वीकार किए। किसी समय चित्रदुर्गा में चतुर्मास करने वाली साध्वी कीर्तिलताजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री शांतिलाल कोठारी, तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष श्री विनोद के.बाफणा, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष श्री कविता बाफणा, स्थानकवासी समाज के श्री घींसूलाल लूंकड़ और श्री अनिल जीरावला ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। चित्रदुर्गा के मुरग मठ के श्री राजेन्द्रस्वामी के शिष्य बशवकिरण स्वामी ने आचार्यश्री के स्वागत में अपने उद्गार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल और तेरापंथ कन्या मंडल की सदस्याओं ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से पूज्यचरणों में अपने भावसुमन अर्पित किए। तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा आचार्यश्री के स्वागत में गीत को प्रस्तुति दी गई। ज्ञानशाला परिवार-दावणगेरे ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ के जीवन प्रसंगों को प्रस्तुत किया। आचार्यश्री द्वारा 2018 में की गई पश्चिम ओड़िशा की यात्रा के संवादों की पुस्तिका ओड़िशा प्रान्तीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री छत्रपाल जैन तथा मंत्री श्री विनोद जैन पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित की।
सायंकाल आचार्यश्री लगभग 3.8 किलोमीटर की पदयात्रा कर चित्रदुर्गा में स्थित द स्टेपिंग स्टोन्स स्कूल में पहुंचे।
अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यप्रवर के आह्वान पर चित्रदुर्गावासियों ने अहिंसा यात्रा के संकल्प स्वीकार किए। किसी समय चित्रदुर्गा में चतुर्मास करने वाली साध्वी कीर्तिलताजी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री शांतिलाल कोठारी, तेरापंथ युवक परिषद् के अध्यक्ष श्री विनोद के.बाफणा, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष श्री कविता बाफणा, स्थानकवासी समाज के श्री घींसूलाल लूंकड़ और श्री अनिल जीरावला ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। चित्रदुर्गा के मुरग मठ के श्री राजेन्द्रस्वामी के शिष्य बशवकिरण स्वामी ने आचार्यश्री के स्वागत में अपने उद्गार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल और तेरापंथ कन्या मंडल की सदस्याओं ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से पूज्यचरणों में अपने भावसुमन अर्पित किए। तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा आचार्यश्री के स्वागत में गीत को प्रस्तुति दी गई। ज्ञानशाला परिवार-दावणगेरे ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ के जीवन प्रसंगों को प्रस्तुत किया। आचार्यश्री द्वारा 2018 में की गई पश्चिम ओड़िशा की यात्रा के संवादों की पुस्तिका ओड़िशा प्रान्तीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री छत्रपाल जैन तथा मंत्री श्री विनोद जैन पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित की।
सायंकाल आचार्यश्री लगभग 3.8 किलोमीटर की पदयात्रा कर चित्रदुर्गा में स्थित द स्टेपिंग स्टोन्स स्कूल में पहुंचे।
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