27-01-2020, सोमवार, हुब्बल्ली, कर्नाटक, मर्यादा महोत्सव के अंतर्गत संस्कार स्कूल में विराजित शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण जी ने धर्म सभा को उद्बोधित करते हुए कहा कि हमें आत्मवाद, कर्मवाद और पुनर्जन्म की बात को प्रत्यक्ष या परोक्ष ग्रंथों के आधार पर मानना चाहिए।
परलोक सुधारने हेतु पापकारी प्रवृत्ति को त्यागे और शुभ प्रवृत्ति करें। ये दोनों बाते अगर मानव जीवन में लागू की जाए तो कोई घाटे का सोदा नहीं होगा। धन का महत्व बताते हुए पूज्यप्रवर ने आगे कहा की जीवन के लिए धन है धन के लिए जीवन नहीं। हमे धन के पीछे नहीं भागना चाहिए, हम खाली हाथ आये थे और खाली हाथ ही जायेंगे इसलिए हमे हमारे जीवन का सही उपयोग करना चाहिए।
इस अवसर पर दक्षिण पश्चिम रेलवे महाप्रबंधक अजयकुमार सिंह, सुजाता अजयकुमार सिंह, उद्यमी विजय शेट्टर मुख्य अतिथि के तोर पर उपस्तिथ थे। मुख्य अतिथि अजय कुमार सिंह, राजपूत समाज के रिड़मल सिंह ने अपने विचार रखे। जैन विश्व भारती लाडनूं के प्रतिनिधियों द्वारा मुनिश्री धर्मरूचि द्वारा लिखित शासन गौरव मधुकर मुनि के जीवन वृत्त की पुस्तक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर राजपूत समाज के अध्यक्ष पर्वत सिंह खींची के नेतृत्व में समाज के प्रतिनिधियों ने आचार्य प्रवर के दर्शन किए।
कर्णाटक सरकार के पूर्व मंत्री विधायक आर. वी. देशपांडे ने संस्कार स्कूल में विराजित अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमण के दर्शन कर उनसे जैन धर्म के तत्व सिंद्धातो के बारे में चर्चा की।
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