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ज्ञान का सक्षम आधार साहित्य है - आचार्य श्री महाश्रमण

 महाप्रज्ञ वांग्मय का हुआ भव्य लोकार्पण  महा महोत्सव का द्वितीय दिन आचार्य महाप्रज्ञ अभ्यर्थना समारोह  देशभर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु मर्यादा महोत्सव हेतु पहुंचे हुब्बल्ली  
31-01-2020, शुक्रवार, हुब्बल्ली, कर्नाटक, हुब्बल्ली शहर के संस्कार स्कूल में विराजित अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सानिध्य में तेरापंथ धर्म संघ के 156वें मर्यादा महोत्सव का द्वितीय दिन तेरापंथ के दसवें आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की अभ्यर्थना समारोह के रूप में आयोजित हुआ। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के चरण के रूप में आयोजित आज के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में धर्मस्थला के धर्माधिकारी पद्म विभूषण डॉ वीरेंद्र हेगड़े उपस्थित थे।
समारोह का मुख्य आकर्षण प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा लिखित 121 पुस्तकों का महाप्रज्ञ वांग्मय के रूप में लोकार्पण रहा। सर्वप्रथम डॉक्यूमेंट्री वीडियो द्वारा वांग्मय के बारे में जानकारी दी गई। तत्पश्चात वांग्मय के संपादन में मुख्य रूप से जुड़ी हुई मुख्य नियोजका साध्वी विश्रुतविभा जी ने वक्तव्य प्रदान किया। फिर महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी समिति के संयोजक हंसराज बेताला, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष अरविंद संचेती, जैन विश्व भारती साहित्य प्रबंधन समिति के सुरेंद्र चौरड़िया सहयोगियों की ओर से समक्ष 121 किताबों का महाप्रज्ञ वांग्मय लोकार्पण किया। 
आचार्य श्री महाश्रमण जी ने वांग्मय के संदर्भ में फरमाते हुए कहा कि परम पूज्य आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का जन्म शताब्दी वर्ष चल रहा है। मैं सौभाग्यशाली हूं कि गुरुदेव तुलसी  एवं महाप्रज्ञ दो-दो गुरुओं की जन्मशती मनाने का मुझे अवसर मिला। ज्ञान चेतना वर्ष के नाम से मनाये जा रहे इस वर्ष के लिए कार्यों में एक महत्वपूर्ण कार्य वांग्मय का हमारे सामने आया है। आज के दिन पूज्य महाप्रज्ञ जी आचार्य पद पर सुशोभित हुए थे। ज्ञान का सक्षम आधार साहित्य है। परम पूज्य का साहित्य विपुल मात्रा में है एक व्यक्ति द्वारा इतनी बड़ी संख्यामें साहित्य का लेखन बड़ी बात है। आज वांग्मय का लोकार्पण हुआ पर इससे महत्वपूर्ण है कि इसमें जिनका श्रम नियोजित हुआ उन्होंने कितनी मेहनत की। मुख्य नियोजिकाजी को प्रतीक के रूप में देख रहा हूं। कितनों का श्रम लगा है तो यह साहित्य सामने आया है। मुझे सात्विक गौरव है, आत्मतोष है। जन्म शताब्दी के निस्पति के रूप में इसे देखा जा सकता है। एक कार्य जैन विश्व भारती द्वारा अंतरराष्ट्रीय विद्यालय का प्रगति पर है। मैं आचार्य श्री महाप्रज्ञ उनके भी गुरु आचार्य तुलसी और उन दोनों के गुरु आचार्य श्री कालूगणी के प्रति श्रद्धापर्ण करता हूं। पूज्य महाप्रज्ञ जी की आत्मा ऊपर से हमारे उपहार को स्वीकार कर रही होगी। साध्वी प्रमुखा श्री कनकप्रभा जी, मुख्य मुनिवर महावीर कुमार जी,साध्वीवर्या संबुद्धयशा जी ने भी सारगर्भित प्रेरणा प्रदान की। मुख्य अतिथि धर्माधिकारी डॉ. वीरेंद्र हेगड़े जी एवं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने भावाभिव्यक्ति देते हुए शांतिदूत कि अभिवंदना की।  डाक विभाग भारत सरकार द्वारा मर्यादा महोत्सव के संदर्भ में जारी विशेष पोस्टल कवर का अनावरण श्री जय शेखर सीनियर सुपरीटेंडेंट धारवाड़ द्वारा किया गया। अभ्यर्थना समारोह में साधु साध्वीवृंद एवं समणीवृन्द ने सामूहिक गीतों का संगान किया। हुब्बल्ली श्रावक समाज द्वारा गीतिका की प्रस्तुति दी गई। समणीवृन्द ने परिसंवाद की रोचक प्रस्तुति दी। मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति अध्यक्ष सोहनलाल कोठारी, संस्कार स्कूल के डायरेक्टर महेंद्र सिंघी जी ने अपने विचार रखे। अभिव्यक्ति के क्रम में समणी मधु प्रज्ञा जी, मुमुक्षु शांता आदि अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे।

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