28-01-2020, मंगलवार, हुब्बल्ली, कर्नाटक, तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी हुब्बल्ली के संस्कार नगर में स्थित बाल संस्कार स्कूल में सानंद प्रवास कर रहे है। प्रतिदिन आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में धर्म प्रेमी श्रद्धालुओं के साथ-साथ अनेक विशिष्ट जन भी शांतिदूत के आशीर्वाद प्राप्त करने दर्शनार्थ पहुंच रहे है।
प्रवचन सभा में श्रोताओं को प्रेरणा प्रदान करते हुए आचार्यश्री महाश्रमण जी ने कहा कि हमारा मन घोड़े के समान है। जैसे दुष्ट घोड़ा नियंत्रण में नहीं रहता तो व्यक्ति को गलत मार्ग पर लेके चला जाता है। वैसे ही मन नियंत्रण में न हो तो वह व्यक्ति को गलत दिशा में ले जा सकता है। हम मन को दुष्ट न बनने दे। इसको वश में करके कुलीन घोड़ा बना ले, अच्छा बना ले यह साधना है।
आचार्यवर ने आगे कहा कि कषायों और योग पर अंकुश हो जाये तो मन अच्छा हो सकता है। मन की पहली समस्या चंचलता है तो दूसरी मलीनता है। हम साधना के द्वारा कषायों और योग पर अंकुश कर ले तो मन अच्छा हो सकता है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ द्वारा प्रणीत प्रेक्षाध्यान का संबंध मन से है। हम प्रेक्षा की साधना कर, संप्रेक्षा कर हमारे मन को उज्जवल बना सकते है, सुमन बना सकते है। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय संसदीय मंत्री धारवाड़ सांसद प्रल्हाद जोशी, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगडी, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर, विधान परिषद् सदस्य प्रदीप शेट्टर अहिंसा यात्रा प्रणेता के अभिनन्दन हेतु उपस्तिथ थे।
केंद्रीय ससंदीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने अभिवंदना में कहा कि आचार्य जी देश विदेश के ५०००० किलोमीटर से भी अधिक पद यात्रा कर सदभावना, नैतिकता, व्यसन मुक्ति के उपदेशों से बदलाव की एक अलख जगा रहे है। यह हम सभी के लिए सौभाग्य की बात है।
केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगडी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार से योग के माध्यम सभी को जोड़ा है उसी प्रकार जैन समाज भी धर्म के माध्यम से सभी को जोड़ रहा है। जैन समाज सदैव सभी को साथ लेकर चलता है। आचार्य महाश्रमण द्वारा पदयात्रा के माध्यम से धर्म का जागरण कर रहे है, रेल्वे मंत्रालय सदैव आपके साथ है एवं पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर ने अपने उध्बोधन में कहा की आचार्य महाश्रमण जी ने हुबली पधारकर हुबली की धरती को पुनीत किया है।
तत्पश्चात शांतिदूत के दर्शनार्थ जब राजनेतागण मंच पर पहुंचे तो आचार्यवर ने राजनीति में धर्म के अंकुश की प्रेरणा देते हुए कहा कि नेताओं पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। नैतिकता, सद्भावना व नशामुक्ति जीवन में रहे और राजनीति के साथ-साथ जनता की सेवा हो ऐसा प्रयास रहे। इस अवसर पर डॉ. समणी कुसुम प्रज्ञा जी द्वारा संपादित 'ओधनिर्युक्ति सभाष्य' एवं डॉ. समणी संगीत प्रज्ञा जी द्वारा लिखित शोध ग्रंथ 'अशोक के अभिलेख' पुस्तक जैन विश्व भारती, लाडनूं के पदाधिकारियों ने पूज्यवर को भेंट किया। कार्यक्रम में रावतमल जी गोठी, विजय पालगोता, रमेश पालगोता ने अपने विचार रखे। स्वागत समिति चैयरमेन पारसमल भंसाली ने सभी का परिचय करवाया। आज के प्रवचन में सुथार समाज हुबली, हनुमान भक्त मंडल हुब्बल्ली के सदस्य उपस्तिथ थे।
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