ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला ( 10 ) दिनांक 11 अप्रैल 2020
बोरावड़ (मकराणा) में तपस्वी ने पन्द्रह दिन चौविहार- तप पचखा । तीन दिन बीच-बीच में जल लेने की छूट रखी । तीसरे दिन निर्जल तेले में भयंकर प्यास उघड़ी । मुंह सूख गया । होठों पर पपड़ी जम गई । मनुहारों के बाद भी जल नहीं लिया । केवल संकेत देते रहे- अमृत -कूप खुला है । तृषा- परीषह सहते - सहते प्राण छोड़ दिए ।
महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...
👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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