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तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय श्रृंखला 13

ॐ  अ .भी .रा .शि.  को .नमः

तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन  परिचय
श्रृंखला ( 13 ) दिनांक 14 अप्रैल 2020

जयाचार्य श्री कृतज्ञ वाणी से बोलते हैं -

चिंतामणि सुरतरु समो,भीम- अमीं दुख भंजन ,
निश्चल तन- मन स्यूं रट्यां, सुख पामें  सुप्रसन्न ।

"भीम जी स्वामी' चिंतामणि' जैसे और अमीचंद जी 'सुरतरु' के समान दुख -भंजन हैं । तपस्वी भीम जी का जाप इच्छापूर्ति और अमीचंद जी का स्मरण प्रसन्नता, आत्मसुख -आनंद देने वाला है। तन -मन को स्थिर कर उनका भजन करो ।"


 महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य  श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...

👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार

 लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻

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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

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