ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला ( 15 ) दिनांक 16 अप्रैल 2020
उनको याद कर जयाचार्य लिखते हैं - "पूरी तुझ मुझ प्रीत" तुम्हारी और मेरी प्रीति पूर्ण है । तुमने प्रत्यक्षी -करण में जो प्रकाश किया । भगवान ही जानते हैं । मैं तुम्हारी बलिहारी जाता हूँ -
"प्रत्यक्ष उद्योत कियो भलो , जाणै जिन जय- कारी हो , ज्यांरी हूं बलिहारी हो " ( विघ्न हरण- 5)
संत गुण माला में भी जयाचार्य श्री ने गाया - "पंचम काले कीधो भारी उजास कै , एहवो गुण किम बीसरूंजी" ।
तप:पूत ! तुमने जो कलिकाल में प्रकाश किया उसे कैसे भुलाया जा सकता है ?
"प्रत्यक्ष उद्योत कियो भलो , जाणै जिन जय- कारी हो , ज्यांरी हूं बलिहारी हो " ( विघ्न हरण- 5)
संत गुण माला में भी जयाचार्य श्री ने गाया - "पंचम काले कीधो भारी उजास कै , एहवो गुण किम बीसरूंजी" ।
तप:पूत ! तुमने जो कलिकाल में प्रकाश किया उसे कैसे भुलाया जा सकता है ?
महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...
👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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