ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला ( 16 ) दिनांक 17 अप्रैल 2020
शासन समुद्र भाग -4 के पृ. 143 में लिखा है - "उनके द्वारा जयाचार्य को कई बार आभास हुए । उनको स्वयं जयाचार्य ने अपने हाथ से लिपिबद्ध कर लिया । वे पत्र (लाडनूं ) पुस्तक भंडार में सुरक्षित हैं ।" जयाचार्य श्री ने उन्हें परमदृष्टि - सजगप्रहरी के रूप में परखा । वे जय महाराज के प्रत्यक्ष थे । उनकी विचारणा- धारणा बहुत गंभीर ,संघ -हितैषी है- स्वयं जयाचार्य ने लिखा है- अमीचंद जी को देख मैं अमृत पिया - सा हो जाता हूँ- "
महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...
👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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