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तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय श्रृंखला 17

ॐ  अ .भी .रा .शि.  को .नमः

तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन  परिचय
श्रृंखला ( 17 ) दिनांक 18 अप्रैल 2020

वि. सं. 1896 चूरू की रचना अमी. ढाल 2- 5 में युवाचार्य जीत लिख रहे हैं-

पूरण थारी आसता, एक चटक मन मांय ।
का जाणै मन मांहरो, का जाणै जिनराय ।।

"अमीचंद जी !तुम्हारे पर मुझे पूर्ण विश्वास है । तुमसे मिलने की मन में एक चटक रहती है। इसे मैं जानता हूँ या भगवान जानते हैं।" गीत लिखते लिखते एक प्रकाश हुआ । जय महाराज ने उसका अंकन शब्दों में भि.गु. 2-10 में यों किया -गुण निधि तपस्वी अमी चंद जी ने प्रत्यक्ष प्रकाश किया- अमीचंद तपसी गुण दरियो, प्रत्यक्ष उद्योत करियो

 महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य  श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...

👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार

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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

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