ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला ( 18 ) दिनांक 19 अप्रैल 2020
अमीचंद जी बहुत कड़क तपस्वी तो थे ही ,स्वभाव से भी कड़क थे । जय मुनि से उनकी अंतरंग प्रीति थी । सुना है - बार - बार दिव्यत्व के साक्षात्कार में अमीचंद जी तपस्वी कहा करते - " मैं बिना बुलाये इसलिए आता हूं कि आपसे मुझे प्रीति है।"
ये पांचों ही 'अ.भी. रा. शि. को.' तपोनिधि ऋषिवर जयाचार्य के यदा-कदा प्रत्यक्ष होते रहे हैं।
ये पांचों ही 'अ.भी. रा. शि. को.' तपोनिधि ऋषिवर जयाचार्य के यदा-कदा प्रत्यक्ष होते रहे हैं।
महातपस्वी मुनि श्री भीम जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...
👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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