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तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय श्रृंखला 2

ॐ  अ .भी .रा .शि.  को .नमः

तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन  परिचय
श्रृंखला ( 2 ) दिनांक 3 अप्रैल 2020

पंच ऋषि स्तवन गाथा 3-4-5-6 में जयाचार्य श्री गाते हैं -

सखर सुधारस सारसी,
वाणी सरस विशाली हो ।
शीतल चंद सुहामणो,
निमल - विमल गुणन्हाली हो ।।
अमीचंद अघ-टाली हो ।
भजो मुनि गुणा रा भंडारी हो  ।।3।।
पापभीरू तपस्वी अमीचंद जी की वाणी सखर - रंगत घुली, अमृत सी रसभरी, विशाल - गंभीर, महत्वपूर्ण थी । तपस्वी शीतल चांद- सा सुहावना निर्मल- नितरा हुआ साफ- जल जैसा विमल- शुद्धोपयोगी और गुण- पारखी था । ऐसे गुण भंडार मुनि का भजन करो ।। 3 ।।

 महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य  श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...

👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार

 लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻

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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

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