ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला ( 3 ) दिनांक 4 अप्रैल 2020
पंच ऋषि स्तवन गाथा 3-4-5-6 में जयाचार्य श्री गाते हैं -
उष्ण - शीत - वर्षा - ऋतु समै,
वर करणी विस्तारी हो।
तप - जप कर तन -तावियों ,
ध्यान अभिग्रह धारी हो ।।
सुणतां इचरज कारी हो ।
भजो मुनि गुणां रा भंडारी हो ।।4।।
गरमी, सर्दी और वर्षा- काल में श्रेष्ठ करणी -ऋतु- तपस्या का विस्तार किया । जप- तप से शरीर को तपाया । ध्यान -अभिग्रह धारी ! तुम्हारा ध्यान- अभिग्रह, जप- तप सुनते ही आश्चर्य होता है । ऐसे गुण भंडार मुनि का भजन करो ।। 4 ।।
वर करणी विस्तारी हो।
तप - जप कर तन -तावियों ,
ध्यान अभिग्रह धारी हो ।।
सुणतां इचरज कारी हो ।
भजो मुनि गुणां रा भंडारी हो ।।4।।
गरमी, सर्दी और वर्षा- काल में श्रेष्ठ करणी -ऋतु- तपस्या का विस्तार किया । जप- तप से शरीर को तपाया । ध्यान -अभिग्रह धारी ! तुम्हारा ध्यान- अभिग्रह, जप- तप सुनते ही आश्चर्य होता है । ऐसे गुण भंडार मुनि का भजन करो ।। 4 ।।
महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...
👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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