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तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय श्रृंखला 4

ॐ  अ .भी .रा .शि.  को .नमः

तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन  परिचय
श्रृंखला ( 4 ) दिनांक 5 अप्रैल 2020

पंच ऋषि स्तवन गाथा 3-4-5-6 में जयाचार्य श्री गाते हैं -

संत-  धनो आगे सुणयो,
ए प्रगट्यो  इण आरी हो ।
प्रत्यक्ष उद्योत कियो भलो,
जाणै जिन - जय कारी हो ।।
ज्यांरी हूं बलिहारी हो ।
भजो मुनि गुणां रा भंडारी हो ।।5।।

भगवान महावीर के युग में - ' धन्ना - अणगार ' हुआ सुना। इस आरे - कलिकाल  में यह दूसरा 'धन्ना'  प्रगट  हुआ - तपस्वी  अमीचंद  जी ।  मैं बलिहारी जाता हूँ । तपस्वी ! तुमने प्रत्यक्षी - करण में भारी प्रकाश किया जिसे जिनेश्वर देव ही जानते हैं । ऐसे गुण भंडार मुनि का भजन करो ।। 5 ।।

 महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य  श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...

👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार

 लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻

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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

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