ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला ( 5 ) दिनांक 6 अप्रैल 2020
पंच ऋषि स्तवन गाथा 3-4-5-6 में जयाचार्य श्री गाते हैं -
धोरी जिन- शासन धुरा,
अहोनिशि में अधिकारी हो ।
परम दृष्टि मैं परखियो,
जबर विचारणा थांरी हो ।।
सुजस दिशा अनुसारी हो,
प्रगट्यो ऋषि तूं भारी हो ।
भजो मुनि गुणां रा भंडारी हो ।। 6 ।।
" तपस्वी ! तुम जैसे धोरी- नागोरी बैल- के कंधों पर रात दिन अधिकार पूर्ण जिन - शासन की धुरी - शासन- रथ का जुआ है । परमदृष्टि ! मैंने तुम्हें परखा है । तुम्हारी विचारणा - चिन्तवना बहुत गंभीर है । हमारे सौभाग्य से ही तुम्हारे जैसे भारी - वजनदार महान् तपस्वी ऋषि प्रगट हुए । ऐसे गुण भंडार मुनि का भजन करो ।। 6 ।।
अहोनिशि में अधिकारी हो ।
परम दृष्टि मैं परखियो,
जबर विचारणा थांरी हो ।।
सुजस दिशा अनुसारी हो,
प्रगट्यो ऋषि तूं भारी हो ।
भजो मुनि गुणां रा भंडारी हो ।। 6 ।।
" तपस्वी ! तुम जैसे धोरी- नागोरी बैल- के कंधों पर रात दिन अधिकार पूर्ण जिन - शासन की धुरी - शासन- रथ का जुआ है । परमदृष्टि ! मैंने तुम्हें परखा है । तुम्हारी विचारणा - चिन्तवना बहुत गंभीर है । हमारे सौभाग्य से ही तुम्हारे जैसे भारी - वजनदार महान् तपस्वी ऋषि प्रगट हुए । ऐसे गुण भंडार मुनि का भजन करो ।। 6 ।।
महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...
👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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