ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला ( 8 ) दिनांक 9 अप्रैल 2020
यों तो कहीं भी तपस्वी अमीचंद जी की व्यवस्थित तप- तालिका नहीं मिलती । पर जब जयाचार्य 'हेम - नवरसा' जैसे ग्रंथ में 'विकट तप्त खंखर देह कीधी' - तपस्वी ने विकट तप से तपा कर शरीर को कंकाल जैसा कर दिया- लिखकर कुछ गंभीरता की सुचना देते हुए प्रतीत होते हैं और ' तप- रूप सुधा वृष्टि बरषै ' - जिनके नभ -कूप से तप- रूप अमृत बूंदें झरती हैं '- लिखकर तो उसे और पुष्ट करते हैं । तपस्वी की तपस्याएं लोमहर्षक रही होगी। जयाचार्य श्री के शब्दों में - ' घोर तप सुणी काया धड़कै ' - उनके कठोर -घोर -तप को सुनकर ही शरीर थर -थरा उठता है पर क्या-क्या तप तपा ? अब कहां ढूंढे ?
महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...
👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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