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तपस्वी मुनि श्री भीम जी स्वामी जीवन परिचय श्रृंखला 14

ॐ  अ .भी .रा .शि.  को .नमः

तपस्वी मुनि श्री भीम जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला ( 14 ) दिनांक 3 मई 2020

सब  दुख  भंजन -भीम
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मुनि श्री पङिहारा ,रतनगढ़ होते हुए चातुर्मास के पूर्व चूरू पधारे और एक महीना ठहरे । चातुर्मास प्रारंभ होने में बहुत दिन बाकी थे इसलिए वहां से विहार कर बिसाऊ, मैणसर होते हुए रामगढ़ पधारे । एक महीना विराजे।  रामगढ़ से मैणसर होकर वि. सं. 1897  आषाढ़ कृष्णा 6 को बिसाऊ के लिए विहार हुआ । उन्हें चातुर्मास चूरू करना था । भयंकर गर्मी । लूऐं चल रही थी । बिसाऊ पहुंचते-पहुंचते वे लटपटा  गए । उल्टी -दस्त ने शरीर का पानी सोख लिया ।

" ॐ अर्हम "

महा तपस्वी मुनि श्री भीम जी स्वामी के बारे में जयाचार्य श्री आगे और क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में .......
क्रमशः.....

👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक "जय जय जय महाराज" से साभार🙏🙏
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻🙏🏻

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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

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