ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला (21) दिनांक 10 जून 2020
श्रृंखला (21) दिनांक 10 जून 2020
राम -रसायण रामसुख
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जयाचार्य
श्री ने अनुभव- वाणी में लिखा- ' यूं खंखंर कीन्ही काया ' ( राम - 9 -18 ) शरीर केवल हड्डियों का ढांचा रह गया । ऐसे उर्जा
,शीत और आतप प्रधान तप करते -करते वि. सं. 1895 के शेषकाल में वे जयाचार्य के साथ
" चूरू " पधारे । जेठ की तपती मौसम । आग उगलती धोरों की धरती । धुंआ फैकती
धूप । धग -धगती लपटें- लहराती लूएं । वहां उन्होंने कुछ दिन तो एकांतर - तप किया फिर
ग्रीष्म ऋतु एवं शरीर में अस्वस्थता होने पर भी 45 दिन का तप किया ।
" ॐ अर्हम "
महातपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी के तपोमय जीवन के बारे में और अधिक जानकारी के लिए पढ़ते रहिये ! जीवन परिचय की क्रमबद्ध श्रंखला .......... राम- रसायण रामसुख !
क्रमशः.....
👉🏻शासन समुद्र " एवं "जय जय जय महाराज" पुस्तक से साभार🙏🙏
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻🙏🏻
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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