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तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय श्रृंखला 20

ॐ  अ .भी .रा .शि.  को .नमः

तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला (20) दिनांक 9 जून 2020


राम -रसायण रामसुख
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वि. सं. 1895 का छठा चातुर्मास युवाचार्य श्री जीतमल जी के साथ लाडनूं किया । वहां उन्होंने पहले एकांतर तप किया और पारणे के दिन केवल एक बार आहार करते  । बाद में बहुत दिनों तक बेले -बेले तप किया ।  पारणा केवल एक बार तीसरे प्रहर में करते । उसमें भी पारणे के लिए विगय ( दूध आदि ) तथा व्यंजन ( साग ,सब्जी ) मंगाने का त्याग था । सिर्फ आंखों की सुरक्षा के लिए घी का आगार था । इस प्रकार अनेक दिनों तक रुखा -सुखा भोजन करके अपने शरीर को अस्थिपंजर की तरह कृश कर लिया ।

" ॐ अर्हम "

महातपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी के तपोमय  जीवन के बारे में  और अधिक जानकारी के लिए पढ़ते रहिये ! जीवन परिचय की क्रमबद्ध श्रंखला .......... राम- रसायण  रामसुख  !
क्रमशः.....

👉🏻शासन समुद्र " एवं "जय जय जय महाराज" पुस्तक से साभार🙏🙏
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻🙏🏻

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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

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