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तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय श्रृंखला 31

ॐ  अ .भी .रा .शि.  को .नमः

तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला (31) दिनांक 20 जून 2020


राम -रसायण रामसुख
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तपस्वी रामसुख जी का स्थान पंचर्षियों  में मध्यवर्ती है । जिनका स्मरण जयाचार्य श्री करवाते हैं । उन्होंने अपने आने का संकेत शब्द दिया पर आज भी वह रहस्य, रहस्य ही बना हुआ है कि उन्होंने कौन सा संकेत- शब्द बताया ? काश ! हम भी उनका साक्षात कर सकते ।

जयाचार्य श्री ने गाया:-

मुणिन्द मोरा , कोदर तपसी करूर ,
रामसुख ऋषि रूड़ो रे , स्वामी मोरा ।
 राजतो रे , मोरा स्वाम ।।


" ॐ अर्हम "

 

अभी तक हमने महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी मुनि श्री भीम जी स्वामी एवं मुनि श्री रामसुख जी स्वामी के तपोमय  जीवन के बारे में जाना , पढ़ा ! महातपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी के जीवन परिचय की श्रंखला यहीं पर समाप्त होती है ।

 कल से हम पढ़ेंगे मुनि श्री शिव जी स्वामी के तपोमय जीवन परिचय की क्रमबद्ध श्रंखला.......... शिवंकराय - शिव  !

क्रमशः.....

👉🏻शासन समुद्र " एवं "जय जय जय महाराज" पुस्तक से साभार🙏🙏
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻🙏🏻

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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

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