ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला (14) दिनांक 3 जून 2020
श्रृंखला (14) दिनांक 3 जून 2020
राम -रसायण रामसुख
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चौथा आरा सारिखो , तप कीधो खड़्गाधार
जलम सुधारयो आपरो , भजन करो नरनार
"तपस्वी रामसुख जी का तप चौथे आरे- सतयुग सरीखा था । खड़ग- तलवार की धार पर चलने जैसा तप कर उन्होंने अपना जन्म सुधारा, आत्म- शक्ति जगाई । ऐसे तपस्वी का भजन करो ।" जयाचार्य श्री के शब्दों में राम ढ़ाल 3 -3 के अनुसार उस घोर तपस्वी की विशेषता थी -
'तूं किधै उपकार रो जाण'
"तपस्वी तुम श्याम खोर- स्वामी- धर्मी -किये उपकार को मानने वाले थे ।"
" ॐ अर्हम "
महातपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी के तपोमय जीवन के बारे में और अधिक जानकारी के लिए पढ़ते रहिये ! जीवन परिचय की क्रमबद्ध श्रंखला .......... राम- रसायण रामसुख !
क्रमशः.....
👉🏻शासन समुद्र " एवं "जय जय जय महाराज" पुस्तक से साभार🙏🙏
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻🙏🏻
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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