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तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय श्रृंखला 18

ॐ  अ .भी .रा .शि.  को .नमः

तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला (18) दिनांक 7 जून 2020


राम -रसायण रामसुख
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विघ्न हरण ढा़ल की 10वीं गाथा में श्रीमद् जयाचार्य श्री ने गाया :-

मन- दृढ़, वच- दृढ़ , महामुनि , शील-दृढ़ सुविचारी हो ,

परम विनीत पिछाणियो, श्रद्धा- दृढ़ सुधारी हो ,

समरण सुख -दातारी हो ,

 भजो मुनि गुणां रा भंडारी हो ।।

मनोदृढ़ ,वचन- प्रामाणिकता और शील ( आचार ) दृढ़ता के साथ महामुने ! मैंने तुम्हें परम विनीत पहचाना । तुम दृढ़ श्रद्धावान थे । तुम्हारी अडिग आस्था धारने -ग्रहण करने योग्य थी । जिनका स्मरण सुख- आनंद देने वाला है । ऐसे गुण भंडार मुनि का भजन - जाप करो ।

" ॐ अर्हम "

महातपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी के तपोमय  जीवन के बारे में  और अधिक जानकारी के लिए पढ़ते रहिये ! जीवन परिचय की क्रमबद्ध श्रंखला .......... राम- रसायण  रामसुख  !
क्रमशः.....

👉🏻शासन समुद्र " एवं "जय जय जय महाराज" पुस्तक से साभार🙏🙏
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻🙏🏻

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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

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