पूज्य प्रवर ने राजा प्रदेशी के कथानक का किया वर्णन
भाजपा राष्ट्रीय युवा मोर्चा अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या पहुंचे शांतिदूत के दर्शनार्थ
23 नवंबर, सोमवार, महाश्रमण वाटिका, शमशाबाद, हैदराबाद, तीर्थंकर के प्रतिनिधि जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने आज कल्पतरू सभागार में उपस्थित श्रद्धालुओं को राजा प्रदेशी व्याख्यानमाला के अंतर्गत पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा- राजा प्रदेशी ने जब श्रमण केशी से कहा कि मैंने एक अपराधी के टुकड़े-टुकड़े करवा दिए फिर भी मुझे कहीं आत्मा नहीं दिखी। अगर होती तो दिख जाती। इसलिए ये आत्मा और जीव कुछ नहीं है। शरीर और आत्मा अलग-अलग नहीं एक ही है इससे मेरी मान्यता सिद्ध होती है। तब कुमारश्रमण केशी ने कहा राजन तुम मूढ हो, मूर्ख हो। राजा के पूछने पर कि आपने मुझे मूढ क्यों कहा केशी स्वामी बोले कि राजन एक व्यक्ति था उसे अरणी की लकड़ी से अग्नि उत्पन्न करने के लिए कहा गया। उसने लकड़ी के टुकड़े-टुकड़े कर दिए पर अग्नि प्राप्त नहीं हुई। क्योंकि वह लकड़ी को मिलाकर घर्षण करने से उत्पन्न होती है। इसी प्रकार आत्मा को इस प्रकार कुछ काटकर नहीं खोजा जा सकता। तब प्रदेशी ने कहा- गुरुजी हम इतनी चर्चा कर रहे हैं, खंडन मंडन चल रहा हैं पर कोई निष्कर्ष नहीं निकल रहा। गुरुजी आप बहुत विद्वान हैं पहुंचे हुए है आप ऐसा करें कि किसी की आत्मा को हाथ में लेके मुझे दिखा दे तब मैं आपकी बात स्वीकार कर लूंगा की आत्मा है और शरीर आत्मा अलग-अलग है। तब कुमारश्रमण केशी बोले- जैसे राजन तुम हवा को जान रहे हो, उससे ये पत्ते-पेड़ आदि हिल रहे हैं। क्या तुम हवा को अपनी आंख से देख सकते हो। प्रदेशी ने कहा नहीं। तब केशी स्वामी बोले फिर मैं आत्मा जिसका मूल स्वरूप अमूर्त है उसे हाथ में लेके कैसे बताऊं। छद्मस्थ व्यक्ति अमूर्त चीजों को नहीं देख सकता, केवलज्ञानी ही सब जान सकते हैं। इसलिए प्रदेशी तुम श्रद्धा करो और यह सिद्धांत मानो की आत्मा अलग है और शरीर अलग है। पुज्यवर ने कथानक से आत्मा के अस्तित्व का वर्णन किया।
कार्यक्रम में आज भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बेंगलुरु से सांसद श्री तेजस्वी सुर्या ने शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यवर ने कहा- दुनिया में राजनीति का महत्व है और वह देश के लिए महत्वपूर्ण भी है। राजनीति से जुड़े लोग नैतिकता, सच्चाई, ईमानदारी के सिद्धांत पर चलें। अहिंसा की नीति, ईमानदारी की नीति से राजनीति प्रभावित होनी चाहिए। अहिंसा यात्रा के उद्देश्य सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति के बारे में बताते हुए गुरुदेव ने कहा कि राजनीति एक सेवा का कार्य है, उसमें स्वच्छता रहे। आज तेजस्वी जी आए हैं, इनमें तेजस्वीता बढ़ती रहे। भीतर में नैतिकता, सेवा की भावना रहे यह काम्य है।
सांसद श्री तेजस्वी सूर्या ने अपने वक्तव्य में कहा- मेरे लिए यह बड़ा अवसर है जो आचार्य जी के दर्शन का, आशीर्वाद का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इस कोरोना काल में सेवा के क्षेत्र में जैन समाज का पूर्ण सहयोग मुझे प्राप्त हुआ। देश में कितने-कितने क्षेत्रों में जैन समाज महनीय कार्य कर रहा है। आचार्य श्री के माध्यम से मैं पूरे जैन समाज का अभिवादन करता हूं।
इस अवसर पर आचार्य श्री महाश्रमण चतुर्मास व्यवस्था समिति हैदराबाद के अध्यक्ष श्री महेंद्र भंडारी ने सूर्या जी को पुज्यवर का साहित्य भेंट किया। श्री इंद्रचंद जी गादिया एवं अन्य जनों द्वारा 'श्राविका गौरव श्रीमती प्यारी बाई गादिया' पुस्तक का श्रीचरणों में विमोचन हुआ।
अभिवंदना के क्रम में चातुर्मास व्यवस्था समिति मंत्री श्री नवीन दस्सानी, महिला मंडल मंत्री श्रीमति अंजू बैद, श्री उम्मेद जी दुगड़, श्री लक्ष्मीपत बैद, सिकंदराबाद तेरापंथ सभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री सुरेश सुराना आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। बहिनों ने गीतिका प्रस्तुत की।
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