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व्यक्ति साधना द्वारा ज्ञान, दर्शन तत्वज्ञान आदि के रूप में निर्मल बनने का प्रयास करे - आचार्य महाश्रमण

 चतुर्दशी पर पूज्यप्रवर द्वारा हाजिरी का वाचन

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05 अक्टूबर 2021, मंगलवार, आदित्य विहार, तेरापंथ नगर, भीलवाड़ा (राजस्थान), अध्यात्म के सुमेरू आचार्य श्री महाश्रमण का भव्य चातुर्मास आदित्य विहार तेरापंथ नगर महाश्रमण सभागार में सआनंद निरंतर प्रवर्धमान है। प्रतिदिन देशभर से श्रद्धालु समाज ससंघ गुरु चरणों में श्रद्धा भाव के साथ दर्शन लाभ लेकर धन्यता का अनुभव कर रहा है।

शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी ने आगम आधारित धर्म देशना में कहा कि जैन सिद्धान्त के अनुसार हमारी सृष्टि में दस चीजे ऐसी होती है जो लोक-आलोक दोनों में व्याप्त होती है। धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशस्तिकाय, शरीर मुक्त जीव, परमाणु पुद्गल, शब्द, गंध, वायु, ये दिन होगा कि नही, ये सभी दुखों का अंत करेगा कि नहीं। इन दस चीजों को सर्व रूप से जानना, देखना केवली के वश की ही बात होती है। छद्मस्थ के ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय कर्म का आवरण होता है। केवली और छद्मस्थता की मुख्य नियामकता ज्ञान है। सम्पूर्ण ज्ञान होना केवली होना है। छद्मस्थ के चार प्रकार हो जाते है - वह जीव जिसके मति, श्रुत ज्ञान होता है, दूसरा जीव जिसके मति, श्रुत, अवधि ज्ञान होता है। तीसरा जिसके पास मति, श्रुत और  मनःपर्यव ज्ञान होता है और चौथा जिसके पास ये चारों ज्ञान होते है। कई चीजे मूर्त भी है पर चक्षु द्वारा साक्षात ज्ञात नही होती है। उनके लिए विशिष्ट ज्ञान की जरूरत होती है।

आचार्यवर ने आगे फरमाया कि व्यक्तियों के ज्ञान-ज्ञान में तारतम्य होता है। एक ज्ञानी में विषय विश्लेषण की क्षमता होती है और एक सामान्य व्यक्ति का ज्ञान होता है। विशिष्ट व्यक्ति और सामान्य व्यक्ति के ज्ञान में अंतर होता है। हर कोई वैदुष्य को प्राप्त नहीं कर सकता है। व्यक्ति साधना द्वारा ज्ञान, दर्शन तत्वज्ञान आदि के रूप में निर्मल बनने का प्रयास करे।

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चतुर्दशी के अवसर पर आज हाजिरी का वाचन किया गया। आचार्यप्रवर ने तेरापंथ के आद्यप्रवर्तक आचार्य श्री भिक्षु द्वारा निर्मित मर्यादाओं का वाचन किया। गुरूदेव के इंगित से नवदीक्षित साध्वियों ने लेखपत्र का पढा। 

इस अवसर पर भीलवाड़ा के मुनि प्रतीक कुमार ने लघु सर्वतोभद्र तप की संपन्नता पर अठाई का प्रत्याख्यान किया।

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कार्यक्रम में पटना से समागत श्री तनसुख बैद, श्री मनोज बैंगानी द्वारा 'भाव निर्झर' पुस्तक विमोचन किया गया। सुश्री विद्या बूलिया, श्री राहुल रांका ने भावाभिव्यक्ति दी।

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