वर्चुअल रूप से आयोजित प्रवचन में आचार्यश्री ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के भीतर पद, पैसा, धन आदि का अहंकार आ जाता है तो आदमी अनुशासनहीन भी सकता है। जहां अनुशासनहीनता हो वहां कठिनाई भी आ सकती है। आदमी के जीवन में अनुशासन हो तो उसका परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व भी अच्छा हो सकता है। जीवन में अनुशासन और एकता आवश्यक होती है। आदमी के जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है। अनुशासन से ही लोकतांत्रिक प्रणाली बेहतर और स्वस्थ ढंग से कार्य कर सकती है। लोकतंत्र रूपी रथ के अनुशासन और कर्त्तव्यनिष्ठा दो पहिए अच्छे होते हैं तो लोकतंत्र का रथ आगे बढ़ सकता है। अनुशासन हो तो आदमी का पारिवारिक, सामाजिक जीवन अच्छा हो सकता है। प्रकृति की सबसे बड़ी शक्ति सूर्य से अनुशासन सीखने का प्रयास करना चाहिए। निर्धारित समय पर सूर्योदय और सूर्यास्त सूर्य की समयबद्धता को दर्शाता है। आदमी को इससे सीख लेने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को सूर्य और प्रकृति से अनुशासन का पाठ सीखने और उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने जोबनेरवासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि जोबनेर की जनता में धार्मिकता, अहिंसा, नैतिकता और नशामुक्ति की चेतना बनी रहे।
कार्यक्रम में श्री राजेन्द्र बरड़िया, जोबनेर नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती मंजूदेवी सिंघी, श्री नवरतनमल ओसवाल, श्रीमती सुशीला कोठारी, विद्या बरड़िया, अनिष्का ओसवाल, श्री राजकुमार बरड़िया तथा तेरापंथी सभा-जयपुर के अध्यक्ष श्री नरेश मेहता ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। दिगम्बर जैन समाज की ओर से श्री सोनाक्षी जैन, श्री प्रनील पोकरणा तथा जोबनेर महिला मंडल ने गीत के माध्यम से अपने आराध्य की अभिवंदना की। आज पूरे दिन रुक-रुककर रिमश्रिम बरसात जारी रही।
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