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अनुशासन से लोकतांत्रिक प्रणाली हो सकती है बेहतर : आचार्य महाश्रमण


05.01.2022, बुधवार, जोबनेर, जयपुर (राजस्थान), सर्दी का मौसम। आसमान बादलों से आच्छन्न और बादलों से गिरती रिमक्षिम बरसात और चली ठंडी हवा लोगों को अपने घरों में कैद होने को मजबूर कर रही थी, किन्तु संकल्पों के धनी, समत्व के साधक, अहिंसा यात्रा प्रणेता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मौसम की तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद भी बुधवार को बोराज से अगले गंतव्य के लिए गतिमान हुए। जन-जन ठंड से सिकुड़ा जा रहा था। रिमश्रिम बरसात से ठंड का प्रभाव कई गुना बढ़ गया था, किन्तु अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ जनकल्याण के लिए अपने निर्धारित स्थान जोबनेर की ओर बढ़ चले। अपने आराध्य के आगमन से हर्षित जोबनेर की जनता में भी मानों आचार्यश्री महाश्रमणजी शक्ति समाहित हो गई थी। जोबनेरवासी भी सुबह से ही अपने आराध्य की मंगल स्वागत की तैयारियों में जुटे हुए थे। कोई पंडाल ठीक कर रहा था, कोई बैनर आदि को जगह-जगह सजा रहा था, कोई रंगोली बना रहा था तो कोई शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मार्ग में अगवानी करने के लिए पहुंच रहा था। प्रतिकूल मौसम के बाद भी विहार के दौरान हल्की बारिश और सर्द हवा लोगों के तन-मन को झकझोर रही थी। समता के साधक आचार्यश्री लगभग पन्द्रह किलोमीटर से अधिक की दूरी तरह कर जोबनेर की सीमा में पावन प्रवेश किया तो जोबनेरवासी प्रसन्नता से झूम उठे। बैंड-बाजे के साथ लोगों ने अपने आराध्य का भावपूर्ण अभिनन्दन किया। स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री जोबनेर के श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के अतिथि गृह में पधारे। 

वर्चुअल रूप से आयोजित प्रवचन में आचार्यश्री ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के भीतर पद, पैसा, धन आदि का अहंकार आ जाता है तो आदमी अनुशासनहीन भी सकता है। जहां अनुशासनहीनता हो वहां कठिनाई भी आ सकती है। आदमी के जीवन में अनुशासन हो तो उसका परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व भी अच्छा हो सकता है। जीवन में अनुशासन और एकता आवश्यक होती है। आदमी के जीवन में अनुशासन का बहुत महत्त्व है। अनुशासन से ही लोकतांत्रिक प्रणाली बेहतर और स्वस्थ ढंग से कार्य कर सकती है। लोकतंत्र रूपी रथ के अनुशासन और कर्त्तव्यनिष्ठा दो पहिए अच्छे होते हैं तो लोकतंत्र का रथ आगे बढ़ सकता है। अनुशासन हो तो आदमी का पारिवारिक, सामाजिक जीवन अच्छा हो सकता है। प्रकृति की सबसे बड़ी शक्ति सूर्य से अनुशासन सीखने का प्रयास करना चाहिए। निर्धारित समय पर सूर्योदय और सूर्यास्त सूर्य की समयबद्धता को दर्शाता है। आदमी को इससे सीख लेने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को सूर्य और प्रकृति से अनुशासन का पाठ सीखने और उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने जोबनेरवासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि जोबनेर की जनता में धार्मिकता, अहिंसा, नैतिकता और नशामुक्ति की चेतना बनी रहे। 


कार्यक्रम में श्री राजेन्द्र बरड़िया, जोबनेर नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती मंजूदेवी सिंघी, श्री नवरतनमल ओसवाल, श्रीमती सुशीला कोठारी, विद्या बरड़िया, अनिष्का ओसवाल, श्री राजकुमार बरड़िया तथा तेरापंथी सभा-जयपुर के अध्यक्ष श्री नरेश मेहता ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। दिगम्बर जैन समाज की ओर से श्री सोनाक्षी जैन, श्री प्रनील पोकरणा तथा जोबनेर महिला मंडल ने गीत के माध्यम से अपने आराध्य की अभिवंदना की। आज पूरे दिन रुक-रुककर रिमश्रिम बरसात जारी रही। 

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