30 दिसंबर, अणुव्रत विश्व भारती राजसमन्द का 41वाँ स्थापना दिवस प्रेरणा और संकल्प के साथ आयोजित हुआ. कार्यक्रम का आयोजन अणुविभा के अध्यक्ष अविनाश नाहर की अध्यक्षता एवं डॉ. महेन्द्र कर्णावट के मुख्य आतिथ्य में हुआ. इस अवसर पर पूर्व न्यायाधीश बसन्तीलाल बाबेल, गणेश कच्छारा, सुरेश कावड़िया, अशोक डूंगरवाल एवं प्रदीपकुमार मीणा ने विशिष्ट आतिथि के तौर पर उपस्थित थे।
कार्यकर्ताओं के स्नेह-मिलन एवं भाव अभिव्यक्ति के रूप में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारम्भ अणुव्रत गीत से हुआ।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में शिक्षाविद् सुरेश कावड़िया ने अपना प्रारम्भिक वक्तव्य देते हुए कहा कि संस्था के विकास में समर्पित प्रतिबद्ध क्षमतावान लोगों के साथ रहा। आचार्य तुलसी का आषीर्वाद व मोहनभाई का स्वप्न व परिश्रम अणुविभा के रूप में हम फलित होते हुए देख रहे हैं। सर्वोदय कार्यकर्ता जीतमल कच्छारा ने कहा कि अणुव्रत में सर्वधर्म समभाव निहित है। पूर्व न्यायाधीश डॉ बसन्तीलाल बाबेल ने नव मनोनीत अध्यक्ष अविनाश नाहर का स्वागत किया और कहा कि यह संस्थाअहिंसा व शान्ति के व्यापक कार्य हेतु एक सार्थक प्लेटफार्म है। डॉ. बाबेल ने अनेक अनुभव व संस्मरण बताते हुए कहा कि नैतिकता से ही आदर्श जीवन संभव है.इस दिशा में अणुव्रत का कार्य व्यापकता से करने की आवश्यकता है। संस्था के ट्रस्टी अषोक डूंगरवाल ने नशा मुक्ति, शराबबंदी पर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने की आवश्यकता बताई। संस्था के पूर्व अध्यक्ष संचय जैन ने भी अपने विचार रखें।
मुख्य अतिथि डॉ. महेन्द्र कर्णावट ने आह्वान किया कि जनता के बीच जाकर अणुव्रत के प्रकल्प के बारे में बताया जाये और कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित करने से ही अणुव्रत की सफलता होगी। उन्होंने अणुविभा के संस्थापक मोहनभाई को याद किया।
संस्था के अध्यक्ष अविनाश नाहर ने संस्था के एकीकरण के घटनाक्रम को बताया। शांति व अहिंसा की दिशा में विश्व स्तर का कार्य करने वाली संस्था राजसमन्द में है, यह हमारे लिए गौरव की बात है। मोहन भाई का पौधा आज वटवृक्ष बना है। जो इस मंच से समाज सेवा करना चाहते हैं वे इससे जुड़े और श्रेष्ठ जीवन के निर्माण की जो धारा है उसे बलवती बनावें।
कार्यक्रम में नगर के गणपत धर्मावत, अफजल खान, नारायणसिंह राव, भरत दक, भगवती लाल जैन, महेश पगारिया, सागर चण्डालिया, बंकेश सनाढ्य, डॉ. विमल कावड़िया सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का संयोजन प्रकाश तातेड़ द्वारा किया गया। आभार ज्ञापन संस्था के सह मंत्री जगजीवन चौरड़िया ने किया।
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