31 जनवरी 2023, मंगलवार, नौसर, बाड़मेर (राजस्थान), अहिंसक जीवन शैली के प्रबल प्रेरक जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्म संघ के एकादशम अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ बाड़मेर जिले में सानंद प्रवर्धमान है। गांव–गांव, ढाणी–ढाणी में नैतिकता, सद्भावना एवं नशामुक्ति के लिए आम जनता को प्रेरित करते हुए पूज्यप्रवर निरंतर पदयात्रा कर रहे है। आज प्रातः आचार्यश्री ने रामसरिया ग्राम से मंगल विहार किया। चारों ओर पसरे खेत खलिहानों के मध्य सर्द हवाएं जहां शीतलता का अनुभव करा रही थी तो वही जनकल्याण के लिए आचार्यश्री निश्चल रूप से गतिमान थे। लगभग 13.8 किलोमीटर विहार कर शांतिदूत गुरुदेव नौसर ग्राम में पधारे। ग्राम वासियों ने बड़े उत्साह के साथ जयघोषों से महासंत का स्वागत किया। श्री समुंदर सिंह राठौड़ के निवास पर प्रवास हेतु पूज्य गुरुदेव पधारे।
मंगल प्रवचन में उद्बोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा– जीवन में वाणी का संयम बहुत आवश्यक है। व्यक्ति को बिना पूछे कही भी कुछ भी बोलने से बचना चाहिए। जहां कही अपेक्षा हो वहां बोलना लाभप्रद भी हो सकता है, किंतु वाणी का विवेक रहे यह जरूरी है। कितना बोले, कहां, कैसे बोले। बोले तो मीठा बोले, छोटे बड़ों का विवेक हो यह जरूरी है। बोलना कोई बड़ी बात नहीं है, ना बोलना भी बड़ी बात नहीं है बोलने और न बोलने में विवेक होना बड़ी बात होती है।
आचार्य प्रवर ने आगे कहा कि किसी को अनावश्यक सलाह देने का प्रयास नहीं करना चाहिए। व्यक्ति को रोजाना यह विचार अवश्य करना चाहिए कि आज मैंने कितना आवश्यक बोला और कितना अनावश्यक बोला। ऐसा करने से व्यक्ति आगे फिर अनावश्यक बोलने से काफ़ी हद तक बच सकता है। पहले तोले फिर बोले। जहां शांति से काम हो सकता है, तो वहां कठोरता क्यों दिखाएं। प्रेम से काम हो सकता है, तो अनावश्यक आक्रोश क्यों करें। वाणी संयम के द्वारा व्यक्ति पाप कर्म से भी काफी हद तक बच सकता है और धर्म लाभ एवं अच्छे व्यवहार की दृष्टि से भी आगे बढ सकता है।
तत्पश्चात स्वागत के क्रम में नौसर गांव की महिला मंडल ने गुरुदेव के समक्ष अपनी गितिका की प्रस्तुति दी। समुंदर सिंह ने आचार्यश्री का स्वागत किया। इस अवसर पर श्रीमीठालालजी भंसाली, श्री विनोद भंसाली ने भी गुरुदेव के समक्ष अपने विचार व्यक्त किए।
0 Comments
Leave your valuable comments about this here :