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बच्चें देश का भविष्य - आचार्य महाश्रमण

 

06.02.2023, सोमवार, बावतरा, जालौर (राजस्थान), अपनी अहिंसा यात्रा द्वारा नेपाल, भूटान एवं भारत के 23 राज्यों में पदयात्रा कर नैतिकता, सद्भावना एवं नशामुक्ति की प्रेरणा देने वाले शांतिदूत युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ जालोर जिले में सानंद गतिमान है। बाड़मेर जिले को पावन बना अब आचार्यश्री जिरावला पार्श्वनाथ तीर्थ एवं आबूरोड की ओर प्रवर्धमान है। आज प्रातः शांतिदूत ने जीवाणा ग्राम से मंगल विहार किया। जीवाणावासी पुज्यप्रवर का पावन प्रवास पाकर कृतार्थता का अनुभव कर रहे थे। विहार मार्ग में जगह–जगह स्थानीय ग्रामीण आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे। विहार के दौरान आज तीव्र धूप मौसम के परिवर्तन का संकेत दे रही थी। लगभग 09 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री बावतरा ग्राम में पधारे। इस मौके पर स्थानीय ठाकुर भगतसिंह जी एवं ग्रामीणों के निवेदन पर पुज्यश्री रावले में पधारे एवं ठाकुर परिवार को आशीष प्रदान किया। तत्पचात राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रवास हेतु गुरुदेव का पदार्पण हुआ। ग्राम सरपंच श्री पारस राजपुरोहित एवं विद्यालय के शिक्षकों सहित विद्यार्थियों ने शांतिदूत का भावभीना स्वागत किया। 


मंगल प्रवचन में आचार्यश्री ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा – विद्यालय एक ऐसा ज्ञान का मंदिर है जहां ज्ञान का आदान प्रदान होता है। विद्यार्थी ज्ञान प्राप्त करे वह उनके जीवन में आचरित हो यह अपेक्षा है। बच्चे ही बड़े बनकर देश की बागडोर सँभालने वाले बनते है, देश का भविष्य होते है। विकास के लिए चार मुख्य बिंदु अपेक्षित होते हैं – शारीरिक विकास, बौद्धिक विकास, मानसिक विकास व भावनात्मक विकास। इनके साथ–साथ आध्यात्मिकता का विकास भी हो, अध्यात्म विद्या भी जीवन में आए। विद्यार्थी अहिंसा, मैत्री, अभय व आत्मानुशासन जैसे गुणों से जीवन को सज्जित कर लें तो जीवन संस्कारित बन सकता है। 


गुरुदेव ने आगे एक कथा के माध्यम से प्रेरित करते हुए कहा कि व्यक्ति जीवन व्यवहार में अनेक प्रकार की प्रवृत्तियां करता है। खाना, पीना, सोना, चलना, कोई कार्य करना जैसी अनेकों प्रवृत्तियां है। इन प्रवृत्तियों में धर्म का भी समावेश भी हो। कर्म धर्मयुक्त बने। जीवन में स्वअनुशासन आए। भारत एक प्रजातांत्रिक देश है, स्वतंत्र देश है। पर स्वतंत्रता का मतलब उषृंखलता नहीं होता। व्यक्ति दूसरों पर अधिकार करने की सोचता है उससे पूर्व खुद का खुद पर अधिकार है या नहीं ये ध्यान दे। जीवन में धर्म व अनुशासन का अंकुश हो तो प्रगति की दिशा सही हो सकती है। 


विद्यार्थियों ने लिया नशामुक्ति का संकल्प

कार्यक्रम में आचार्यश्री की प्रेरणा से उपस्थित विद्यार्थियों एवं ग्रामीणों ने नैतिकता, सद्भावना एवं नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार करते हुए आजीवन नशामुक्ति का संकल्प लिया। इस अवसर पर ठाकुर श्री भगतसिंह जी एवं विद्यालय के प्रिंसिपल श्री गणेशाराम चौधरी ने शांतिदूत के स्वागत में अपने विचार रखे। आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति अहमदाबाद के पदाधिकारियों ने स्मृति चिन्ह विद्यालय प्रिंसिपल को भेंट किया।


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