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उपयोगी का महत्व होता है - आचार्य महाश्रमण जी

Aacharya Mahashraman ji
H.H. Aacharya Shri Mahashramanji, addressing the people at Kathmandu, Nepal.

दिनांक 2-5-2015, काठमांडू, नेपाल
पूज्यप्रवर ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन में पैसा का महत्व भी है और उपयोगिता भी है। आदमी को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि मैं उपयोगी हूँ या नहीं। आदमी को दक्ष होने का प्रयास करना चाहिए। उपयोगी पदार्थ का महत्व बढ़ता है और उपयोग शून्य पदार्थ का महत्व खत्म हो जाता है। नए कपडे का महत्व होता है, नए कपड़े लोग चाव से पहनते हैं। कालान्तर में उसके जीर्ण शीर्ण होने पर उसका महत्व पहले से कम हो जाता है। आदमी जो उपयोगी होता है उसका महत्व होता है।
उन्होंने कहा की जिसकी उपयोगिता होती है उसका महत्व होता है। उपयोगिता हीन का महत्व नहीं रहता। पुत्र पिता की सेवा करने वाला, सम्मान का भाव रखने वाला, निर्व्यसनी, पढ़ा - लिखा एवं कमाई करने वाला हो तो पिता के लिए उस पुत्र का महत्व हो जाता है। साधू संस्था में भी जो साधू-साध्वी उपयोगी होता है उसका महत्व बढ़ता है। सेवा करने वाले के सेवा के क्षेत्र में, व्याख्यानी की व्याखान के क्षेत्र में महत्ता हो जाती है। जो बहुश्रुत है, विद्वान है, उनकी ज्ञान के सन्दर्भ में महत्ता बढ़ जाती है।
मुख्य नियोजिक साध्वी श्री विश्रुत विभा जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आचार्य प्रवर अपने प्रवचन के मध्यम से अच्छे व सुयोग्य व्यक्तिओं का निर्माण कर रहे हैं। समणी निर्मलप्रज्ञा जी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। ललिल मरोठी ने गीत का संगान किया। परम पूज्य आचार्य प्रवर का दुगड़ निवास में प्रवास चल रहा है। आज शनिवार होने के कारण प्रातःकालीन प्रवचन में उपस्थिति अच्छी रही। वातावरण भी ठीक रहा। मौसम में हलकी गर्मी थी। भूकंप की त्रासदी को आज एक सप्ताह हो चुका है। जनजीवन पुनः पटरी पर आ रहा है। दुकाने 80% अभी भी बंद है।धीरे धीरे जनजीवन सामान्य हो रहा है।

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