२०जुन केसिंगा-महातपस्वी महामनस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी शिष्या साध्वी श्री राकेशकुमारी जी ठाणा-४ के सानिध्य में मुमुक्षु रुपेश का मंगल भावना समारोह मनाया गया.साध्वी श्री के नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ.
साध्वी राकेश कुमारीजी ने उद्बोधन देते हुए कहा-चरित्र रुपी महायान की यात्रा हर एक व्यक्ति नहीं कर पाता.कांटो का ताज, लोहे के चने चबाना,तलवार की धार पर चलाना,२२ परीषहों पर विजय प्राप्त करना बहुत कठिन काम है .आधुनिक युग में राग विराग की ओर असंयम से संयम की ओर भोग से योग की ओर संसार से अमरत्व की ओर प्रस्थान करने गुरु चरणों में महान संकल्प बल मनोबल के साथ संयम धन स्वीकार करने जा रहा है मुमुख्यु रुपेश.सयंम जीवन एक महापायदान है.दीख्यार्थी रुपेश महापायदान की यात्रा करने ऊंची ऊडान भरने जा रहा है.साध्वी श्री ने कहा-गुरु आशीर्वाद से संयममय जीवन के समरांगण में भाई रुपेश नए इतिहास का सृजन कर अपने कुल के नाम को रोशन करता हुआ गुरु दृष्टि अनुसार धर्म संघ की प्रभावना में चार चांद लगाने की ओर गतिशील रहे.साहस हिम्मत व उत्साह से अनवरत साधना पथ पर निरन्तर गतिमान बन निरतिचार साधुत्व की पालन करें.भावों का विशुद्धिकरण बना रहे इन्हीं मगंलमय भावों के साथ भावी जीवन के प्रती शुभकामनाएं.साध्वी जिग्यासाप्रभाजी ने विचार रखें.अध्यख्य-रामनीवास जी,जीतमलजी,आनन्द जैन,अनूप जैन,नमीता जैन,ज्योती जैन,ममता जैन ने विचार प्रस्तुत करते हुए मुमुख्यु रुपेश के प्रति मंगल भावनाए रखी महीला मंडल,कन्या मंडल,भिख्यु भजन मंडली आदी ने गीतो की स्वर लहरीयों से दीख्यार्थी का अभिनन्दन किया.दीख्यार्थीनी बहिन कल्पना आंचल मुमुख्यु अंजली ने गीत प्रस्तुत कर सभी को भाव विभोर कर दिया.मंच संचालन मुमुख्यु अंजली ने किया.दीख्यार्थी रुपेश ने अपने भावों को प्रस्तुत किया.मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ.
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