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दिनांक 13 जनवरी 2016 को श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के अध्यक्ष श्रीमान किशनलाल जी डागलिया, अपनी संगठन यात्रा के दौरान श्री प्रदीप जी व श्री राजेन्द्र जी के साथ किशनगढ सभा की यात्रा के लिये प्रातः 9.15 बजे तेरापंथ भवन किशनगढ पधारें।
कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन किशनगढ सभाध्यक्ष श्री पन्नालाल छाजेड ने दिया।
महासभा अध्यक्ष ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में सबसे पहले अपने पद सृजन के दिन लिये 3 संकल्पों -
कभी संघीय कार्यक्रमों में सम्मान न लेने,
चारित्रात्माओं के समक्ष कभी कुर्सी पर न बैठने, व
सार्वजनिक रूप से मिटिंग बुलाकर चंदा न लेने के संकल्पों को सभी के समक्ष रखा।
आगे आदरणीय अध्यक्ष महोदय ने पारिवारिक सार संभाल (सम्पोषण, शिक्षा व चिकित्सा), ज्ञानशाला, उपासक श्रेणी, शनिवार की सामायिक, चारित्रात्माओं की रास्ते की सेवा, चारित्रात्माओं के प्रतिदिन दर्शन, जैन तेरापंथ कार्ड आदि के विषय में विस्तार पूर्वक बताया।
महासभा की प्रगतिमान प्रमुख योजनाओं के बारे में बताते हुवें आपने सहभागिता, सम्पोषण आदि से जनमानस को अवगत कराया।
अपनी बात को विस्तार देते हुवें आपने बताया की आज सोशल मीडिया हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, प्रगति के इसी दौर में हमें ये भी सुनिश्चित करना होगा कि हम भ्रमित करने वाली अफवाहों से बचे। संघ और संघपति के प्रति पूर्ण समर्पित रहें।
आपने बताया महासभा जैन तेरापंथ कार्ड को जल्द ही अल्पसंख्यक Document का दर्जा दिलाने का प्रयास कर रही है।
आपने कहा कि यह प्रत्येक सभा का परम कर्तव्य है कि वहा का कोई भी तेरापंथी परिवार ऐसा ना रहे जो धनाभाव के कारण भोजन, शिक्षा और चिकित्सा से वंछित रहें।
पदाधिकारीयों में साधर्मिक वात्सल्य का विकास हो।
भावी पीढी में संस्कारों का सृजन हो।
शिवाजी ने नगर से पधारे साध्वी श्री विशद्प्रज्ञा जी ने अपने मांगलिक उद्बोधन में फरमाया की महासभा, सभी सभाओं की मां के समान है।
पूरे समाज की सार संभाल का दायित्व महासभा का होता है और इसी दायित्व का कुशलतापूर्वक निर्वहन हेतु आज किशनलाल जी यहां आये है। आपके प्रति मंगलकामना।
अंत में आभार सभा उपाध्यक्ष श्री सुरेश घोडावत नें किया।
मंच का कुशल संचालन सभा मंत्री डाॅ. अजय कवाड ने किया।
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