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प्रवचन श्रवण के माध्यम से आदमी शुभयोग में जा सकता है : आचार्य श्री महाश्रमण जी


आधुनिक विद्या संस्थानों से आध्यात्मिक शिक्षा की लौ जला रहे आध्यात्मिक गुरु 

इंजीनियरिंग, मेडिकल, काॅमर्स, आईटीआई काॅलेजों में आचार्यश्री का हो रहा है प्रवास 

लगभग दस कि.मी. का विहार कर आचार्यश्री पहुंचे चुण्डी रंगनायकलु काॅलेज 

04.06.2018 चिलाकलुरीपेट, गुन्टूर (आंध्रप्रदेश), JTN, आंध्रप्रदेश की भूमि को अपने ज्योतिचरण से ज्योतित करने वाले महातपस्वी, शांतिदूत, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ सोमवार को चिलाकलुरीपेट स्थित चुण्डी रंगनायकलु काॅलेज परिसर में पधारे तो यह काॅलेज परिसर अपने सौभाग्य पर इतरा उठा। इस विद्या संस्थान में विभिन्न विषयों के अध्यापक, प्राध्यापक तो अवश्य आते होंगे, किन्तु आज पहली बार इस विद्यालय में आध्यात्म जगत के प्राध्यापक का शुभागमन हुआ। 

आंध्रप्रदेश के कृष्णा व गुन्टूर जिले में आचार्यश्री का इन दिनों का प्रायः प्रवास इंजीनियरिंग काॅलेज, मेडिकल काॅलेज, काॅमर्स काॅलेज, आईटीआई काॅलेजों में ही हो रहा है। इन विद्या संस्थानों की विशालता, इनकी भव्यता तथा प्रत्येक दस या पांच किलोमीटर की दूरी पर उपलब्धता इस प्रदेश में उच्च शिक्षा के प्रति लोगों की विशेष जागरूकता के द्योतक बने हुए हैं। यह विद्या संस्थान विद्यार्थियों को भौतिक युग में बेहतर ढंग से जीवन-यापन करने के मार्गदर्शक भी हैं, किन्तु इन विद्या संस्थानों का वर्तमान में भाग्योदय हो गया है जो इनसे आध्यात्मिक शिक्षा की अलख अध्यात्म जगत के महान गुरु शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी जगा रहे हैं। 

सोमवार को आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या सोलह पर आगे बढ़े। आज धूप पूरी तरह से खिली हुई थी। इस कारण गर्मी और उमस में भी वृद्धि हो रही थी, किन्तु दृढ़ संकल्पी आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ गतिमान थे और उन्हीं के पावन आशीर्वाद की छांव में अपने आराध्य से उत्प्रेरित श्रद्धालु भी गतिमान थे। लगभग दस किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री चिलाकलुरीपेट स्थित चुण्डी रंगनायकलु काॅलेज परिसर के एम.सी.ए. ब्लाक में पधारे। इस परिसर के पास ही आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने प्रातः के मुख्य मंगल प्रवचन में पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी को अपने समय का दुरुपयोग नहीं, अनुयोग और सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को प्रवचन के माध्यम से शुभ योग में रहने का लाभ प्राप्त हो सकता है। सामायिक तो संवर है, किन्तु इस दौरान किए जाने वाले स्वाध्याय, ध्यान, जप अथवा प्रवचन श्रवण के माध्यम से आदमी शुभ-योग में जा सकता है। प्रवचन के दौरान सामायिक का लाभ और प्रवचन श्रवण में मन लगाने से और अधिक आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति हो जाती है। 

आदमी को अपने आंख, कान और वाणी का संयम करने का प्रयास करना चाहिए, और किसी भी गलत कार्य में इनकी प्रवृत्ति होने से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को किसी मौके पर अंध, बधि और मूक बनने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपना समय शुभ कार्यों अथवा धार्मिक कार्यों में नियोजित कर अपने समय का सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। 

मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित काॅलेज के प्रिन्सिपल श्री मनम श्रनिवास राव ने आचार्यश्री से मंगल प्रवचन श्रवण के पश्चात् अपनी भावाभिव्यक्ति देते हुए कहा कि आज मेरा परम सौभाग्य की आचार्यश्री महाश्रमणजी के ज्योतिचरण का दर्शन करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। आप महासंत द्वारा दी जा रही शिक्षा को यदि सभी अपने जीवन में उतार लें तो हमारा भारत बहुत सुन्दर बन जाएगा। 

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