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तुंग नदी के किनारे पधारे अध्यात्म जगत के उत्तुंगशिखर : आचार्यश्री महाश्रमण


शिवमोगावासियों को शिवमार्ग पर चलने की दी प्रेरणा
आधी सदी बाद तेरापंथ के अनुशास्ता शिवमोगा में
आचार्य तुलसी कॉलेज में हर्षोल्लास के साथ मनाया आचार्य तुलसी का दीक्षा दिवस
H.H. ACHARYA MAHASHRAMAN


16-12-2019, सोमवार, शिवमोगा, कर्नाटक

दुर्लभ अवसर की प्राप्ति कितनी आनन्ददायक होती है, यह तो आज शिवमोगावासी बखूबी बता सकते थे और उनके प्रफुल्लित चेहरों को देखकर भी जाना जा सकता था। जन-जन के कष्टों को हरने के लिए अहिंसा यात्रा के रूप में गतिमान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपने कष्टों की परवाह किए बिना  भक्तों की दिली पुकार सुनकर निर्धारित प्रलम्ब यात्रा पथ में अस्सी किलोमीटर की पदयात्रा को और जोड़कर शिवमोगा आने की घोषणा की तो मानों शिवमोगावासियों की खुशियों के पंख लग गए। अपनी इन्हीं खुशियों के इजहार के लिए शिवमोगावासियों ने जो तैयारियां कीं, उन्हें देखकर यह नहीं लग रहा था कि आचार्यश्री ने मात्र पांच दिन पूर्व ही यहां पधारने की घोषणा की है।
अध्यात्म जगत के उत्तुंगशिखर आचार्यश्री ने तुंड्गा नदी के इस पार बसे शिवमोगा में ज्योंही चरण रखे, ‘जय-जय ज्योतिचरण, जय-जय महाश्रमण’ के घोष से धरा-अम्बर गुंजायमान हो उठे। मानों नदी के किनारे श्रद्धा का दरिया लहरा उठा। आचार्यश्री के स्वागत में उमडे़ जनसैलाब में जैन एवं जैनेतर का भेद करना दूध में से पानी को अलग करने जैसा कार्य था। होले बस स्टोप से प्रारंभ हुए भव्य स्वागत जुलूस में शिवमोगावासियों का उल्लास मुखरित बना हुआ था। पूरा मार्ग महाश्रमणमय बना हुआ था। यह जुलूस आचार्य तुलसी नेशनल काॅलेज आॅफ काॅमर्स में पहुंचकर विशाल जनसभा में परिवर्तित हो गया।


कार्यक्रम में उपस्थित हजारों जैन एवं जैनेतर लोगों को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने अपने पावन प्रवचन में कहा कि आदमी के जीवन में आसक्ति एक ऐसा तत्त्व होता है, जो पतन की ओर ले जा सकता है, जो पदार्थाें के प्रति अनासक्त रहता है, वह व्यक्ति ऊर्ध्वारोहण कर सकता है। जिस प्रकार दीवार पर सूखी और गीली मिट्टी का एक-एक गोला फेंका जाए तो सूखी मिट्टी वाला गोला जल्दी नीचे गिर सकता है और गीली मिट्टी वाला चिपक जाता है। उसी प्रकार आसक्ति के कारण जो कार्य किया जाता है, उससे विशेष कर्मबंधन हो सकता है और अनासक्तिपूर्वक जो कार्य किया जाता है, वह विशेष कर्मबन्धन करने वाला नहीं होता। क्योंकि आसक्ति में चेप होता है, जबकि अनासक्ति में वह नहीं होता। जिस प्रकार धाय मां शिशु का लालन-पालन करते हुए भी यह मन में जानती है कि बच्चा मेरा नहीं है, उसी प्रकार आदमी को भी परिवार का भरण-पोषण करते हुए भी अनासक्त रहना चाहिए।
आचार्यश्री ने कहा कि आज पौष कृष्णा पंचमी है। यह दिन अणुव्रत प्रवर्तक तेरापंथ धर्मसंघ के नवमाधिशास्ता के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। आज के दिन वे मुनि बने थे और करीब ग्यारह वर्ष बाद वे मुनीश बन गए थे, तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य बन गए थे। आज का दिन त्याग-संयम से जुड़ा हुआ दिन है। जीवन में जितना त्याग बढता है, आदमी उतना की कल्याण की ओर आगे बढ जाता है। आज हम शिवमोगा आए हैं। आज के दिन गुरुदेव तुलसी ने शिवमार्ग लिया था। त्याग के सामने सम्मान, पद-प्रतिष्ठा छोटी बात होती है। आचार्यप्रवर ने शिवमोगा आने के संदर्भ में कहा कि क्षेत्र स्पर्शना का अपना कुछ विधान नियम होता होगा। कुछ दिनों पहले हमारा शिवमोगा आने का कार्यक्रम नहीं था लेकिन कार्यक्रम बदला और कुछ ही दिनों में हम यहां आ गए। गुरुदेव करीब 50 वर्ष पूर्व यहां पधारे थे। आज उनकी पीढ़ी में हमारा आना हो गया। शिवमोगा के लोग शिवमार्ग पर बढ़ते रहें। आचार्यश्री ने कहा कि आदमी पैसे के लिए बहुत कुछ करता है, किन्तु वह आगे साथ नहीं जाता। किसी ने ठीक कहा है-
जिन्दगी भर खूब कमाए हीरे मोती।
क्या कहूं ए दोस्त! कफन में जेब नहीं होती।।


आचार्यप्रवर से अहिंसा यात्रा के विषय में अवगति प्राप्त कर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री, शिवमोगा के सांसद आदि सैंकड़ों-सैंकड़ों लोगों ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की प्रतिज्ञाएं स्वीकार की। कार्यक्रम में तेरापंथी सभा शिवमोगा के अध्यक्ष श्री मदनराज संचेती, मंत्री श्री हनुमान गादिया, श्री विजयराज बाफणा, श्री प्रथम बरलोटा, श्री चन्दनमल भटेवरा, श्रीमती सुनीता बाफणा, श्री रमेश गादिया, श्री भंवरलाल नाहर, श्रीमती निकिता, स्थानकवासी समाज की ओर से श्री शांतिलाल मेहता, श्री केवलचंद मेहता, मूर्तिपूजक संघ की ओर से श्रीदेवीचंद आदि में आचार्यश्री का अभिनंदन किया। स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल की महिलाओं ने आचार्यश्री के स्वागत में गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्यामंडल की कन्याओं ने स्वागत गीत को प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला परिवार ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से पूज्यचरणों में अपने भावसुमन अर्पित किए। शिवमोगा तेरापंथ समाज की बेटियों ने अपने आराध्य की अभ्यर्थना में गीत का संगान किया। साध्वी चैतनप्रभाजी ने अपनी शिक्षा भूमि पर अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। कर्नाटक के पंचायत राज्यमंत्री तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री के.एस. इश्वरप्पा एवं शिवमोगा के सांसद तथा कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री येदियुरप्पा के पुत्र श्री बी.एस.राधवेन्द्र ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी श्रद्धापूर्ण भावाभिव्यक्ति दी। सायंकाल आचार्यश्री महाश्रमण आचार्य तुलसी कॉलेज से प्रस्थान कर तेरापंथ भवन , महावीर भवन, स्थानक भवन आदि स्थानों पर पधारकर श्रद्धालुओं पर आशीर्वाद बरसाते हुए महावीर विद्यालय में पहुंचे। आज का रात्रिकालीन प्रवास यहीं हुआ।



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