ॐ अ .भी .रा .शि. को .नमः
तपस्वी मुनिश्री अमीचंद जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला ( 12 ) दिनांक 13 अप्रैल 2020
"अमीचंद नाम ही गुण -निष्पन्न था । तुम तो शरद -चंद्र थे । इस कलिकाल में तुमने भारी उजास किया " । यहां भी जयाचार्य की भाषा रहस्यभरी है । वे कहना चाहते हैं - सुदूर महाविदेह क्षेत्रीय आचार्यों से संपर्क जो इस समय दुर्लभतम है । तपस्वी ! तुमने उसे सुगम वार्तालापी बना दिया ।
महातपस्वी मुनि श्री अमीचंद जी स्वामी के बारे में श्रीमद् जयाचार्य श्री क्या लिखते हैं जानने के लिए अगली पोस्ट में.........
क्रमश...
👉🏻मुनि श्री सागरमल जी स्वामी द्वारा लिखित पुस्तक
"जय जय जय महाराज" से साभार
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻
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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज
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