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तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय श्रृंखला 28

ॐ  अ .भी .रा .शि.  को .नमः

तपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी जीवन परिचय
श्रृंखला (28) दिनांक 17 जून 2020


राम -रसायण रामसुख
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जयाचार्य श्री ने राम ढा़. 3-4 और 3-9 में लिखा है -

 ' हद पाली तूं पूरण प्रीत '

 तुमने अपनी सीमा में पूरी प्रीति निभायी ।

तूं प्रतीतकारी गुणवान , आनंदकारी चित्त सुख स्थान
गुण ग्राहक , गिरवो गंभीर,
 वचन निभावण तूं  बड़ वीर

तपस्वी ! तुम विश्वस्थ ,गुणी, आनंददायी , चित्त -समाधि- स्थल, गुणग्राही , गंभीर और वचन के बड़े पक्के हो।


" ॐ अर्हम "

महातपस्वी मुनि श्री रामसुख जी स्वामी के तपोमय  जीवन के बारे में  और अधिक जानकारी के लिए पढ़ते रहिये ! जीवन परिचय की क्रमबद्ध श्रंखला .......... राम- रसायण  रामसुख  !
क्रमशः.....

👉🏻शासन समुद्र " एवं "जय जय जय महाराज" पुस्तक से साभार🙏🙏
लिखने में किसी भी प्रकार की त्रुटि रही हो तो मिच्छामि दुक्कड़म🙏🏻🙏🏻

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प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज

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